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टाइप 1 डायबिटीज से प्रेग्नेंसी में जटिलताएं

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डॉ मीना सामंत प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली हॉस्पिटल पटना : टाइप 1 डायबिटीज आनुवंशिक होने के कारण कम उम्र में ही हो सकता है. इस रोग में शुरू से ही मरीज को इंसुलिन लेना पड़ता है. ऐसे मरीजों को प्रेग्नेंसी के समय भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता […]

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डॉ मीना सामंत

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प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ कुर्जी होली फेमिली

हॉस्पिटल

पटना : टाइप 1 डायबिटीज आनुवंशिक होने के कारण कम उम्र में ही हो सकता है. इस रोग में शुरू से ही मरीज को इंसुलिन लेना पड़ता है. ऐसे मरीजों को प्रेग्नेंसी के समय भी कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

क्या हैं परेशानियां

मां का बीपी बढ़ सकता है और यूरिनरी इन्फेक्शन भी हो सकता है. ब्लड शूगर लेवल में कमी या अधिकता हो सकती है. ब्लड शूगर लेवल के बढ़ने पर कीटो एसिडोसिस का भी खतरा होता है. ब्लड शूगर लेवल के बढ़ने से डायबिटिक रेटिनोपैथी भी हो सकती है, जिससे आंखों में मौजूद नर्व्स डैमेज हो जाते हैं. इससे नेत्रहीनता हो सकती है. किडनी की नसों के डैमेज होने से डायबिटिक नेफ्रोपैथी का खतरा होता है. जटिलताओं के कारण सिजेरियन डिलिवरी की भी आशंका होती है. किसी प्रकार के घाव में इन्फेक्शन का भी खतरा हो सकता है.

ऐसे होता है उपचार

प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले से ही डॉक्टर के संपर्क में रहें. इंसुलिन की खुराक समय पर लेनी जरूरी है. ब्लड शूगर लेवल की नियमित जांच जरूरी है ताकि इंसुलिन की सही डोज ली जा सके. इंसुलिन दिन में तीन से चार बार लेना पड़ सकता है. कभी-कभी उल्टी होने के कारण ब्लड शूगर लेवल लो भी हो सकता है. इसके कारण बेहोशी हो सकती है. इससे बचने के लिए चीनी या बिस्कुट हमेशा अपने साथ रखें.

क्या हो सकते हैं खतरे

इस अवस्था में शिशु में कई परेशानियां हो सकती हैं जैसे– हृदय, स्पाइनल कॉर्ड, किडनी आदि में विकृति हो सकती है.

– गर्भपात का भी खतरा हो सकता है.

– गर्भ में ही बच्चे की मृत्यु हो सकती है

– बच्चे का वजन अधिक हो सकता है

-जन्म के बाद शिशु में ग्लूकोज की कमी होने, सांसों में परेशानी और कैल्शियम की कमी हो सकती है. जॉन्डिस होने का भी खतरा होता है.

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