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जानलेवा है ये सेब खाना

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रोज एक सेब खाइए और डॉक्टर को दूर भगाइए, इस कहावत को अब भूल ही जाईए वरना ये आपकी जान के लिए खतरा भी हो सकता है. जी हां, सेब खाना अब किसी खतरे से कम नहीं है, आइए बताते हैं कैसे… कुदरती पोषण से भरा सेब अब हानिकारक, केमिकल्स युक्त फल हो गया है […]

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रोज एक सेब खाइए और डॉक्टर को दूर भगाइए, इस कहावत को अब भूल ही जाईए वरना ये आपकी जान के लिए खतरा भी हो सकता है. जी हां, सेब खाना अब किसी खतरे से कम नहीं है, आइए बताते हैं कैसे…

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कुदरती पोषण से भरा सेब अब हानिकारक, केमिकल्स युक्त फल हो गया है जिसका सेवन आपको हॉस्पिटल भी पहुंचा सकता है. ये सेब को तरोताजा दिखाने के लिए उस पर चढ़ाए जा रहे केमिकल युक्त मोम के कारण हो रहा है. (तस्वीर में देखें)

मोम यानी वैक्स चढ़ा सेब ऊपर से लाल, चमकदार और खुबसूरत लगता है. इसका छिलका अधिक मोटा होता है ताकि ये लम्बे समय तक ताज़ा दिखाई दे, जबकि अन्दर से ये सेब सड़ता रहता है.

कई सेम्पल टेस्ट के अनुसार, सेब के ऊपर मोम की पतली परत चढ़ाई जाती है. जो इसके छिलके को मोटा और चमकदार बना देती है. इस मोम की परत में आर्सेनिक एसिड सहित कई केमिकल्स मिले होते हैं. जिनका लगातार उपयोग सेहत के लिए बेहद घातक होता है.

साधारण तौर पर सेब की चमक बढ़ाने और ताजा रखने के लिए हनीवेक्स (मधुमक्खी के शहद से निकलने वाले मोम) का उपयोग किया जाता है लेकिन यह काफी महंगा होता है. इसलिए इसकी जगह सिंथेटिक वेक्स का उपयोग करते हैं जिसमें कई हानिकारक केमिकल मिले होते हैं.

यह केमिकल युक्त मोम दो तरह से नुकसान पहुंचाता है. इसमें शामिल आर्सेनिक एसिड कई गंभीर बीमारियों को जन्म देता है. दूसरा यह कि लगातार सेवन से मोम आंतों में जम जाता है जिससे आगे चलकर पेट संबंधी गंभीर बीमारीयां हो सकती हैं.

(तस्वीर में) मोम चढ़ा सेब अन्दर से गल गया है जबकि उसका छिलका अभी भी मोटा है जो सेब के सड़ने पर भी सुरक्षित है और बिलकुल भी सड़ा या गला नहीं है. इसी तरह ये मोम आंतों में चिपक कर उन्हें कड़ा बना देता है यही नहीं ये पाचन तन्त्र को नुकसान पहुँचा कर गंभीर बिमारियों का कारण बनता है.

तो सावधान हो जाएं…अब जब भी सेब लें उसे खुरच कर देखें या घर ला कर अच्छे से धो कर, साफ़ कपड़े से पौंछ कर ही खाएं.

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