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दवा भी है भांग

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भांग को नशे के लिए उपयोग में लाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं? भांग शरीर में दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है. विशषज्ञों का मानना है कि भांग से होने वाला नशा शरीरिक दर्द को अधिक सहनीय बना देता है.

वैज्ञानिकों ने शोध द्वारा यह बताया है कि भांग के तत्व दिमाग के दर्द महसूस करने वाले हिस्से की सक्रियता को कम कर देता हैं जिससे दर्द से पीड़ित व्यक्ति की सहनशीलता बढ़ जाती है.

हालाकि विशषज्ञों का मानना है कि भांग सभी पर एक जैसा असर नहीं करती. यह व्यक्ति के सहनशीलता के आधार पर निर्भर होता है कि भांग किसे और कितना सहनशील बना देती है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में 12 स्वस्थ व्यक्तियों को शामिल किया गया. इन लोगों को डेल्टा 9 टेट्राहाइड्रोकेनाबिनॉल की 15 मिलीग्राम की एक-एक गोली खाने के लिए दी.

इसके बाद इन लोगों को पैर की त्वचा पर मलने के लिए एक तेज़ मिर्ची जैसी जलन वाली क्रीम दी गई जो त्वचा को जलन का अनुभव कराती है.

इसके बाद उनके मस्तिष्क की गतिविधियों को जानने के लिए हर एक व्यक्ति का चार बार एमआरआई स्कैन किया गया.

विशेषज्ञों ने कहा किहमने पाया कि डेल्टा 9 टेट्राहाइड्रोकेनाबिनॉल के इस्तेमाल के बाद लोगों को दर्द का अहसास कम हो रहा था. जिसका पता हमें एमआरआई स्कैन से पता चला. इसमें दिमाग के एक खास हिस्से की सक्रियता कम हो गई जिससे इन लोगों को दर्द का बहुत ज्यादा अहसास नहीं हुआ.

रिसर्चर का कहना है कि इस शोध से उन्हें दर्द नाशक तैयार करने में मदद मिल सकती है. भांग किसी पारम्परिक दर्द निवारक दवा की तरह काम नहीं करता. हालाकि यह भी देखने को मिला कि कुछ लोगों पर इसका अच्छा असर होता है और कुछ पर मामूली असर भी नहीं होता.

यह तो सामान्यता माना जाता है कि भांग नशा ही है लेकिन इसका दावा होना कितना कारगार होगा और इसका सकारात्मक उपयोग ही होगा ये तय करना वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल है. इस संबंध में आगे भी शोध कार्य जारी रहेगा

भांग को नशे के लिए उपयोग में लाया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं? भांग शरीर में दर्द सहने की क्षमता को बढ़ाता है. विशषज्ञों का मानना है कि भांग से होने वाला नशा शरीरिक दर्द को अधिक सहनीय बना देता है.

वैज्ञानिकों ने शोध द्वारा यह बताया है कि भांग के तत्व दिमाग के दर्द महसूस करने वाले हिस्से की सक्रियता को कम कर देता हैं जिससे दर्द से पीड़ित व्यक्ति की सहनशीलता बढ़ जाती है.

हालाकि विशषज्ञों का मानना है कि भांग सभी पर एक जैसा असर नहीं करती. यह व्यक्ति के सहनशीलता के आधार पर निर्भर होता है कि भांग किसे और कितना सहनशील बना देती है.

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन में 12 स्वस्थ व्यक्तियों को शामिल किया गया. इन लोगों को डेल्टा 9 टेट्राहाइड्रोकेनाबिनॉल की 15 मिलीग्राम की एक-एक गोली खाने के लिए दी.

इसके बाद इन लोगों को पैर की त्वचा पर मलने के लिए एक तेज़ मिर्ची जैसी जलन वाली क्रीम दी गई जो त्वचा को जलन का अनुभव कराती है.

इसके बाद उनके मस्तिष्क की गतिविधियों को जानने के लिए हर एक व्यक्ति का चार बार एमआरआई स्कैन किया गया.

विशेषज्ञों ने कहा किहमने पाया कि डेल्टा 9 टेट्राहाइड्रोकेनाबिनॉल के इस्तेमाल के बाद लोगों को दर्द का अहसास कम हो रहा था. जिसका पता हमें एमआरआई स्कैन से पता चला. इसमें दिमाग के एक खास हिस्से की सक्रियता कम हो गई जिससे इन लोगों को दर्द का बहुत ज्यादा अहसास नहीं हुआ.

रिसर्चर का कहना है कि इस शोध से उन्हें दर्द नाशक तैयार करने में मदद मिल सकती है. भांग किसी पारम्परिक दर्द निवारक दवा की तरह काम नहीं करता. हालाकि यह भी देखने को मिला कि कुछ लोगों पर इसका अच्छा असर होता है और कुछ पर मामूली असर भी नहीं होता.

यह तो सामान्यता माना जाता है कि भांग नशा ही है लेकिन इसका दावा होना कितना कारगार होगा और इसका सकारात्मक उपयोग ही होगा ये तय करना वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल है. इस संबंध में आगे भी शोध कार्य जारी रहेगा

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