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कैंसर का इलाज करेगी ‘एस्परिन’

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बुखार और दर्द में काम आने वाली एस्पिरिन अब कैंसर का इलाज करेगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कैंसर की दवाओं का प्रभाव बढ़ाने में एस्पिरिन मददगार साबित हो सकती है.

इम्यूनोथेरेपी शरीर को खुद ही बीमारी से लड़ने के काबिल बनाती है, जिसका इस्तेमाल कैंसर जैसी बीमारियों में किया जाता है. इस नई खोज से मेडिकल के फील्ड में काफी उत्साह है.

फ्रैंसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के किये गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि एस्पिरिन ट्युमर को शरीर के प्रतिरोधक तंत्र यानी इम्यून सिस्टम से खुद को बचाने से रोक सकती है. कैंसर रिसर्च यूके का कहना है कि इलाज के सुधार की दिशा में एक आसान उपाय हो सकता है.

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि त्वचा, स्तन और आंतों के कैंसर में कैंसर सेल्स प्रोस्टाग्लैंडिन ई2 नामक उच्चस्तरीय केमिकल छोड़ती हैं जो प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है और ट्युमर खुद को प्रतिरोधक क्षमता से बचा लेता है. एस्पिरिन जैसी दवा कैंसर सेल्स में इस प्रोस्टाग्लैंडिन ई2 केमिकल के स्राव को रोक सकती है.

सेलनामक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि चूहों पर किए गए प्रयोग से यह निष्कर्ष निकलता है कि ऐसी दवाएं इम्युनोथेरेपी को ज्यादा सफल बना सकती हैं. लेकिन एक शोधकर्ता का कहना है कि हम अभी मरीजों से बहुत दूर हैं. अभी तक जो सामने है वह सब प्राथमिक शोध है जो चूहों पर किया गया है. अब हमें इसक मनुष्यों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल करना है.

बुखार और दर्द में काम आने वाली एस्पिरिन अब कैंसर का इलाज करेगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली कैंसर की दवाओं का प्रभाव बढ़ाने में एस्पिरिन मददगार साबित हो सकती है.

इम्यूनोथेरेपी शरीर को खुद ही बीमारी से लड़ने के काबिल बनाती है, जिसका इस्तेमाल कैंसर जैसी बीमारियों में किया जाता है. इस नई खोज से मेडिकल के फील्ड में काफी उत्साह है.

फ्रैंसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के किये गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि एस्पिरिन ट्युमर को शरीर के प्रतिरोधक तंत्र यानी इम्यून सिस्टम से खुद को बचाने से रोक सकती है. कैंसर रिसर्च यूके का कहना है कि इलाज के सुधार की दिशा में एक आसान उपाय हो सकता है.

अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि त्वचा, स्तन और आंतों के कैंसर में कैंसर सेल्स प्रोस्टाग्लैंडिन ई2 नामक उच्चस्तरीय केमिकल छोड़ती हैं जो प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करता है और ट्युमर खुद को प्रतिरोधक क्षमता से बचा लेता है. एस्पिरिन जैसी दवा कैंसर सेल्स में इस प्रोस्टाग्लैंडिन ई2 केमिकल के स्राव को रोक सकती है.

सेलनामक रिसर्च जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि चूहों पर किए गए प्रयोग से यह निष्कर्ष निकलता है कि ऐसी दवाएं इम्युनोथेरेपी को ज्यादा सफल बना सकती हैं. लेकिन एक शोधकर्ता का कहना है कि हम अभी मरीजों से बहुत दूर हैं. अभी तक जो सामने है वह सब प्राथमिक शोध है जो चूहों पर किया गया है. अब हमें इसक मनुष्यों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल करना है.

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