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जानिए क्यों पेटू हैं आप?

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लोग अक्सर आपको पेटू कहकर चिढ़ाते हैं लेकिन आप इस बात को एक्सेप्ट नहीं पाते कि आप पेटू हैं. पेट भर जाने के बाद भी यदि आपका मन चॉकलेट केक के बचे आखिरी पीस को खाने के लिए मचलता है तो जान लें कि आप ओवरईटिंग के शिकार हैं.

दरअसल, हम क्यों खाते हैं, कितना खाते हैं और कब खाना बंद करते हैं इस क्रिया को हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम नियंत्रित करता है. कई बार इस तरह की ओवरईटिंग ऊर्जा के लिए नहीं बल्कि खुशी के लिए होती है जिसके लिए हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम जिम्मेदार होता है.

हालिया सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित, रटगर्स रॉबर्ट वुड जॉनसन मेडिकल स्कूल के एक अध्ययन के मुताबिक शोधकर्ताओं ने चूहों पर एक शोध किया. शोध के मुताबिक, जब चूहों ने पेट भर खाने के बाद अत्यधिक वसायुक्त भोजन किया तब चूहों के सेंट्रल नर्वस सिस्टम में पेप्टाइड 1 (जीएलपी -1) जैसे हार्मोन ग्लूकागन का स्तर कम हो गया.

शोध में यह बात सामने आई कि जिन चूहों में जीएलपी-1 की कमी थी उन्होंने ऊर्जा रहित ज्यादा मात्रा वाला वसायुक्त भोजन किया. लेकिन जब चूहों के दिमाग में जीएलपी-1 का स्तर बढ़ा दिया गया तब उनकी वसायुक्त भोजन करने की इच्छा खत्म हो गई.

जीएलपी-1 पेप्टाइड्स अमीनो एसिड के छोटे सीक्वेंस में हमारे शरीर में खाना-खाने से सम्बंधित व्यवहार को बताता है. जब हम संतुष्ट हो जाते हैं तब ये शरीर की छोटी आंत और मस्तिष्क दोनों की कोशिकाओं से स्रावित होते हैं जिससे हमारे मस्तिष्क को पता चल जाता है कि अब हमें खाना बंद कर देना चाहिए.

शोध से जुड़े वरिष्ठ लेखक और सहायक प्रोफेसर जीपिंग पंग कहते हैं, यह मष्तिष्क के वही क्षेत्र हैं जो नशीली दवाओं, शराब और निकोटीन की लत की तरह अन्य नशे की लत के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं. अत्यधिक खाना, मोटापे का कारण है जिसे खाने की लत, न्यूरोसाइकियाट्रिक विकार माना जाता है. नर्वस सिस्टम में जीएलपी-1 सिग्नल्स की इस खोज के बाद हम यह पता लगा सकते हैं कि किस तरह से अनियमित खाने की आदत को बदला जा सकता है और इसके साइड इफेक्ट्स को जानकर उनके लिए थेरेपी इजाद की जा सकती है.

लोग अक्सर आपको पेटू कहकर चिढ़ाते हैं लेकिन आप इस बात को एक्सेप्ट नहीं पाते कि आप पेटू हैं. पेट भर जाने के बाद भी यदि आपका मन चॉकलेट केक के बचे आखिरी पीस को खाने के लिए मचलता है तो जान लें कि आप ओवरईटिंग के शिकार हैं.

दरअसल, हम क्यों खाते हैं, कितना खाते हैं और कब खाना बंद करते हैं इस क्रिया को हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम नियंत्रित करता है. कई बार इस तरह की ओवरईटिंग ऊर्जा के लिए नहीं बल्कि खुशी के लिए होती है जिसके लिए हमारा सेंट्रल नर्वस सिस्टम जिम्मेदार होता है.

हालिया सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित, रटगर्स रॉबर्ट वुड जॉनसन मेडिकल स्कूल के एक अध्ययन के मुताबिक शोधकर्ताओं ने चूहों पर एक शोध किया. शोध के मुताबिक, जब चूहों ने पेट भर खाने के बाद अत्यधिक वसायुक्त भोजन किया तब चूहों के सेंट्रल नर्वस सिस्टम में पेप्टाइड 1 (जीएलपी -1) जैसे हार्मोन ग्लूकागन का स्तर कम हो गया.

शोध में यह बात सामने आई कि जिन चूहों में जीएलपी-1 की कमी थी उन्होंने ऊर्जा रहित ज्यादा मात्रा वाला वसायुक्त भोजन किया. लेकिन जब चूहों के दिमाग में जीएलपी-1 का स्तर बढ़ा दिया गया तब उनकी वसायुक्त भोजन करने की इच्छा खत्म हो गई.

जीएलपी-1 पेप्टाइड्स अमीनो एसिड के छोटे सीक्वेंस में हमारे शरीर में खाना-खाने से सम्बंधित व्यवहार को बताता है. जब हम संतुष्ट हो जाते हैं तब ये शरीर की छोटी आंत और मस्तिष्क दोनों की कोशिकाओं से स्रावित होते हैं जिससे हमारे मस्तिष्क को पता चल जाता है कि अब हमें खाना बंद कर देना चाहिए.

शोध से जुड़े वरिष्ठ लेखक और सहायक प्रोफेसर जीपिंग पंग कहते हैं, यह मष्तिष्क के वही क्षेत्र हैं जो नशीली दवाओं, शराब और निकोटीन की लत की तरह अन्य नशे की लत के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं. अत्यधिक खाना, मोटापे का कारण है जिसे खाने की लत, न्यूरोसाइकियाट्रिक विकार माना जाता है. नर्वस सिस्टम में जीएलपी-1 सिग्नल्स की इस खोज के बाद हम यह पता लगा सकते हैं कि किस तरह से अनियमित खाने की आदत को बदला जा सकता है और इसके साइड इफेक्ट्स को जानकर उनके लिए थेरेपी इजाद की जा सकती है.

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