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दक्षिण अफ्रीका में-4 : क्या सीख सकते हैं, हमारे नेता मंडेला से?

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– हरिवंश – देश के लिए लड़ने, रंगभेद के खिलाफ संघर्ष और जेल की यातना से अधिक चुनौतीपूर्ण था, एक नये दक्षिण अफ्रीका की रचना का प्रयास. एक नये समाज के सपने की बुनियाद डालना. दो स्तर पर मंडेला के इस प्रयास को तोड़ने-विफल करने की कोशिशें तेज हुई. जातीय दंगे. बड़े पैमाने पर हिंसा. […]

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– हरिवंश –
देश के लिए लड़ने, रंगभेद के खिलाफ संघर्ष और जेल की यातना से अधिक चुनौतीपूर्ण था, एक नये दक्षिण अफ्रीका की रचना का प्रयास. एक नये समाज के सपने की बुनियाद डालना. दो स्तर पर मंडेला के इस प्रयास को तोड़ने-विफल करने की कोशिशें तेज हुई. जातीय दंगे. बड़े पैमाने पर हिंसा. उनके कामरेडों ने समानांतर कुप्रचार भी शुरू किया. खुद मंडेला ने अपने बारे में हो रहे कुप्रचार पर लिखा है. ‘मदीबा’ बिक चुके हैं. वह थ्री पीस सूट पहनने लगे हैं.
शराब के शौकीन हो गये हैं और लजीज भोजन के दास. पर उन्होंने तय किया, ऐसी अनर्गल बातों को नकारने का एक ही रास्ता था, जिस पारदर्शिता और ईमानदारी से मैंने सब कुछ किया, वह लोगों को बताना. मैं घूम-घूम कर लोगों से बता रहा था कि यातायात, संचार और मास मीडिया में हुई क्रांति ने दुनिया का दृश्य बदला दिया है. संसार तेजी से आगे भाग रहा है. हम दक्षिण अफ्रीकन लोगों को तेजी से अपना-देश और समाज बनाना है.
यह प्रसंग पढ़ कर मुझे अब्राहम लिंकन याद आये. उन्होंने उस स्कूल के अध्यापक को पत्र लिखा, जहां उनका बेटा पढ़ता था. मानव समूह के लिए वह पत्र धरोहर है. उससे एक पंक्ति थी कि आप (यानी शिक्षक) इसे (यानी मेरे बेटे को) ऐसी शिक्षा दें कि जब इसे लगे कि मैं सही हूं , पर अकेला हूं, और पूरी दुनिया मेरे खिलाफ है, फिर भी अपने मूल्यों-आस्था से यह न डिगे? यह 71 वर्षीय व्यक्ति जेल से निकल कर यह कहते घूम रहा था कि जिस भी महिला या पुरुष ने रंगभेद की नीति का परित्याग किया है, उसके साथ कोई भेदभाव नहीं होगा. हम रंगभेद रहित, साझा और लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका बनायेंगे. एक व्यक्ति-एक वोट के आधार पर.
वह विद्यार्थियों से कह रहे थे. स्कूलों में लौटो. अपराध पर शांति से पाबंदी लगे. उन्होंने सभाओं में कहा कि मुझे सूचनाएं मिली हैं कि बड़े अपराधी, गैंगलार्ड्स अपने को आजादी की लड़ाई के सिपाही बताते हैं, आम नागरिकों को तबाह करते हैं. हमारे संघर्ष में ऐसे लोगों के लिए जगह और जरूरत नहीं. संयमित लोक आचरण और शांत माहौल में जीने का अवसर दिये बिना, आजादी का क्या अर्थ है.
यह है ‘विजन’ , ‘स्टेट्समैनशिप’ , ‘नेतृत्व’ और महानता! धारा के खिलाफ सही बात करने का आत्मबल. अपनी सही बात या टेक पर अकेले डटे रहने का नैतिक बल और साहस. यह फर्क है, नकली नेता, कुरसी के भूखे नेता, मौसमी नेता, ढोंगी नेता, अवसरवादी नेता और सही नेता के बीच. नकली नेता, भड़के युवकों से कहता, ‘मेरे जिगर के टुकड़ों (महामाया बाबू ने आंदोलनकारी युवाओं को यही कह कर बिहार में मुख्यमंत्री पद पाया था). अवसरवादी रहता, तो कहता ब्लैक, सदियों के अत्याचार से पीड़ित हैं, पहले किये गये हर जुल्म का मुंहतोड़ जवाब दें, अतीत का बदला लें.
डोमेसाइल का सवाल खड़ा करता. मूलवासी और बाहरी के मुद्दे उठते, ताकि वोट बैंक बने, विधायक, सांसद बनने के लिए या सरकार बनाने के लिए. समाज को लड़ाना, ताकि बुनियादी मुद्दों पर समाज विभाजित रहे और घोर अयोग्य, अपराधी, अक्षम नेता, जाति, धर्म, रंग, बाहरी, भीतरी की सीढ़ी चढ़ सत्ता सुख भोगते रहें. राज्य को लूटते रहें.
एक दूसरे स्तर पर भी मंडेला के प्रयासों को विफल करने की कोशिश हो रही थी. लगातार रंगभेद के सवाल पर बड़े दंगे हो रहे थे. फैल रहे थे. रंगभेद के समर्थक दक्षिण अफ्रीका को अशांत रखना चाहते थे. लगभग वही स्थिति थी, जो आजादी के ठीक बाद (1947-1950 तक भारत में रही. दंगे, नेताओं की हत्या, अशांति, हिंसा और शरणार्थियों की आवाजाही.
इसी बीच, 1993 में जब वसंत के दिन थे. मंडेला अपनी जन्मभूमि गये थे. वहीं एक अर्जेंट फोन आया. अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के एक सर्वाधिक लोकप्रिय नेता क्रिस हेनी की हत्या कर दी गयी थी. जोहांसबर्ग में, गोरों के मध्यवर्गीय मोहल्ले में यह हत्या की गयी. वह गोरों-कालों की एकता-सौहार्द के लिए उस समय काम कर रहे थे.
मंडेला ने लिखा है कि देश के बेलगाम-उद्धत युवकों को जो अपने करिश्मा-व्यक्तित्व से अनुशासित कर सकता था, वह हममें से क्रिस थे. जो व्यक्ति इस दक्षिण अफ्रीका को, महान देश में तब्दील करने की निर्णायक भूमिका में था, वह मार डाला गया. एक गोरे द्वारा. देश अत्यंत नाजुक मोड़ पर था. इस हत्या के बाद पूरे देश में रंग के आधार पर दंगे भड़कने की स्थिति थी. क्रिस के युवा अनुयायी उन्माद की स्थिति में थे. मंडेला तुरंत क्रिस के घर रवाना हुए . फिर जोहांसबर्ग गये. वह लिखते हैं,
मुझसे कहा गया, आज की रात देश को संबोधित करें. मैंने किया. कहा,’आज रात, मैं एक-एक दक्षिण अफ्रीकी से बात कर रहा हूं . अपनी अंतरात्मा से. काले हो या गोरे उन सबसे, अपने दिल की उस अतल गहराई से, जहां हम सब एक जैसे इंसान हैं. एक पूर्वाग्रह और घृणा से भरे श्वेत इंसान ने, ऐसा जघन्य काम किया है, कि यह पूरा मुल्क तबाही के कगार पर है.
डगमगा रहा है. पर एक श्वेत दक्षिण अफ्रीकी महिला ने ही अपनी जान खतरे में डाली, ताकि हम दक्षिण अफ्रीकी सच जान सकें और हत्यारे को सजा हो सके … यही अवसर है कि सारे दक्षिण अफ्रीकी लोग एकजुट खड़े हों, उन ताकतों के खिलाफ, जो किसी कोने से उस सपने की हत्या करना चाहती हैं, जिसके लिए क्रिस ने कुरबानी दी. वह सपना है – हम सबके लिए आजादी’ . मंडेला का यह भाषण पढ़ कर, मुझे पंडित नेहरू के उस ऐतिहासिक भाषण की याद आयी, जो उन्होंने गांधी की हत्या के बाद दिया था.
क्रिस की हत्या पोलैंड से आकर रह रहे एक गोरे ने की थी. वह एक कट्टरपंथी संगठन से जुड़ा था. मंडेला ने लिखा है कि क्रिस की हत्या साजिश थी, ताकि देश में गृहयुद्ध हो जाये. और बहुमत के लोकतांत्रिक शासन की चल रही प्रक्रिया खत्म हो जाये. पर मंडेला उग्र धारा के खिलाफ खड़े हुए और देश को बचा लिया.
दिनांक : 23-06-07

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