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पटना का न्यू मार्केट पहले हुआ करता था ‘गोल मार्केट’

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अनुराग प्रधान
पटना :
आजादी से पहले भी पटना के महत्वपूर्ण स्थान पर सुपर मार्केट था. अंग्रेजों का बनया यह सुपर मार्केट आज भी स्थिति है. लेकिन अभी इसकी कुछ पुरानी संरचना टूट गयी है और कुछ बची हुई है जो, न्यू मार्केट में कबाड़ी दुकानों के बीच में मौजूद है. अभी यह मार्केट आपको पुराने दौर में ले जा सकता है. इसको देखने के बाद ही आप इस मार्केट की सुंदरता का अंदाजा लगा सकते हैं. अभी इसी के आसपास पटना का प्रसिद्ध बाजार न्यू मार्केट विकसित हुआ है. हालांकि अभी भी इस मार्केट में मांस की बिक्री काफी होती है. यह शहर के काफी पुराने मार्केट में शामिल है. इसके बारे में आपको जानना जरूरी भी है. वैसे अब यह मार्केट में पहले जैसी रौनक नहीं रही.

पश्चिम की तरफ फैलने के बाद इस मार्केट का निर्माण हुआ
पटना के प्रांतीय राजधानी बनने और पश्चिम की तरफ फैलते जाने के बाद 1922 में गोल मार्केट का निर्माण हुआ. यह काफी आकर्षक था. अभी भी आप पटना जंक्शन के नये पुल से इस मार्केट को देखेंगे तो इसकी खूबसूरती आपको नजर आयेगी. 1915 में पटना एडमिनिस्ट्रेटिव कमिटी द्वारा पश्चिमी पटना के निवासियों के रोजमर्रा की जरूरतों, जैसे- मांस (मटन, बीफ, चिकन), मछली, अंडा सब्जी और किराना आदि की पूर्ति के लिए 1922-23 में पटना जंक्शन के नजदीक गोल मार्केट की स्थापना की गयी. रोज के ग्राहक अपने फिटन और रिक्शों से यहां आते थे. आस-पास के गावों के सब्जी बेचने वाले सुबह-शाम आते थे. बकरी और मवेशियों के मांस का बाजार दोपहर के बाद ही चलता था. गोल मार्केट की संरचना गोलाकार है, जो तीन दिशाओं में विस्तारित है. इसकी छत ढलवां छप्पर वाली है, जिसके केंद्र में एक शिखर है. गोल मार्केट नयी राजधानी क्षेत्र के लोगों के लिए न्यू मार्केट कॉम्प्लेक्स की शुरुआती बिंदु है. जब 1939 में पटना जंक्शन को इसके वर्तमान स्थान पर ले आया गया और सरकार ने फ्रेजर रोड पर स्थित बांकीपुर जेल और रेलवे स्टेशन के बीच 6.64 एकड़ जमीन अधिगृहीत की. तब पुराने रेलवे स्टेशन के पश्चिम यानि पुराने और नये स्टेशन के बीच न्यू मार्केट का आरंभ हुआ और विभिन्न वस्तुओं की दुकानें खोली गयी.

अनुराग प्रधान
पटना :
आजादी से पहले भी पटना के महत्वपूर्ण स्थान पर सुपर मार्केट था. अंग्रेजों का बनया यह सुपर मार्केट आज भी स्थिति है. लेकिन अभी इसकी कुछ पुरानी संरचना टूट गयी है और कुछ बची हुई है जो, न्यू मार्केट में कबाड़ी दुकानों के बीच में मौजूद है. अभी यह मार्केट आपको पुराने दौर में ले जा सकता है. इसको देखने के बाद ही आप इस मार्केट की सुंदरता का अंदाजा लगा सकते हैं. अभी इसी के आसपास पटना का प्रसिद्ध बाजार न्यू मार्केट विकसित हुआ है. हालांकि अभी भी इस मार्केट में मांस की बिक्री काफी होती है. यह शहर के काफी पुराने मार्केट में शामिल है. इसके बारे में आपको जानना जरूरी भी है. वैसे अब यह मार्केट में पहले जैसी रौनक नहीं रही.

पश्चिम की तरफ फैलने के बाद इस मार्केट का निर्माण हुआ
पटना के प्रांतीय राजधानी बनने और पश्चिम की तरफ फैलते जाने के बाद 1922 में गोल मार्केट का निर्माण हुआ. यह काफी आकर्षक था. अभी भी आप पटना जंक्शन के नये पुल से इस मार्केट को देखेंगे तो इसकी खूबसूरती आपको नजर आयेगी. 1915 में पटना एडमिनिस्ट्रेटिव कमिटी द्वारा पश्चिमी पटना के निवासियों के रोजमर्रा की जरूरतों, जैसे- मांस (मटन, बीफ, चिकन), मछली, अंडा सब्जी और किराना आदि की पूर्ति के लिए 1922-23 में पटना जंक्शन के नजदीक गोल मार्केट की स्थापना की गयी. रोज के ग्राहक अपने फिटन और रिक्शों से यहां आते थे. आस-पास के गावों के सब्जी बेचने वाले सुबह-शाम आते थे. बकरी और मवेशियों के मांस का बाजार दोपहर के बाद ही चलता था. गोल मार्केट की संरचना गोलाकार है, जो तीन दिशाओं में विस्तारित है. इसकी छत ढलवां छप्पर वाली है, जिसके केंद्र में एक शिखर है. गोल मार्केट नयी राजधानी क्षेत्र के लोगों के लिए न्यू मार्केट कॉम्प्लेक्स की शुरुआती बिंदु है. जब 1939 में पटना जंक्शन को इसके वर्तमान स्थान पर ले आया गया और सरकार ने फ्रेजर रोड पर स्थित बांकीपुर जेल और रेलवे स्टेशन के बीच 6.64 एकड़ जमीन अधिगृहीत की. तब पुराने रेलवे स्टेशन के पश्चिम यानि पुराने और नये स्टेशन के बीच न्यू मार्केट का आरंभ हुआ और विभिन्न वस्तुओं की दुकानें खोली गयी.

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