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Winter Sleep : सर्दी के मौसम में जैसे-जैसे ठंड बढ़ती है हमें अधिक नींद आने लगती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे केवल मौसम का ठंडा होना ही नहीं बल्कि हमारे शरीर में होने वाले कुछ महत्वपूर्ण जैविक और शारीरिक बदलाव भी जिम्मेदार होते हैं. सर्दियों में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं जिसका असर हमारे सर्केडियन रिदम यानी बॉडी क्लॉक पर पड़ता है. इस लेख में हम आपको बताएंगे कि सर्दियों में ज्यादा नींद आने के पीछे कौन-कौन से वैज्ञानिक कारण हैं और ये कैसे हमारे शरीर को प्रभावित करते हैं.
सर्दियों में होता है दिन छोटा
सर्दी के मौसम में दिन की रोशनी कम होती है और रातें लंबी होती हैं. इस बदलाव का हमारे शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है. दिन में कम रोशनी और रात में ज्यादा अंधेरा होने के कारण शरीर की आंतरिक घड़ी (biological clock) प्रभावित होती है जिससे नींद की जरूरत बढ़ जाती है. इससे शरीर की ऊर्जा का स्तर गिरता है और अधिक नींद महसूस होती है.
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मिलाटोनिन का बढ़ता है स्तर
सर्दियों में सूरज की रोशनी कम होने के कारण शरीर में मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन बढ़ जाता है. यह हार्मोन हमारी नींद के चक्र को नियंत्रित करता है. जैसे-जैसे मेलाटोनिन का स्तर बढ़ता है शरीर ज्यादा थका हुआ महसूस करता है और नींद की इच्छा भी अधिक होती है.
सर्दियों में कम शारीरिक गतिविधि
सर्दी के मौसम में लोग बाहर कम निकलते हैं और शारीरिक गतिविधियां भी कम होती हैं. शारीरिक सक्रियता कम होने से शरीर में ऊर्जा का संचार नहीं होता और आप ज्यादा थका हुआ महसूस करते हैं. इससे नींद की इच्छा अधिक होती है.
विटामिन D की कमी
सर्दियों में सूरज की रोशनी कम मिलती है और इस कारण विटामिन डी का स्तर घट सकता है. विटामिन डी का स्तर घटने से शरीर में थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है. जिससे नींद अधिक आती है. विटामिन डी के कम होने से शरीर को आराम की अधिक जरूरत पड़ती है और नींद ज्यादा आती है.
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तनाव और अवसाद
सर्दी के मौसम में जब लोग बाहर कम जाते हैं और दिन की रोशनी कम होती है तो कुछ लोग सर्दियों के अवसाद का शिकार हो सकते हैं. इस मानसिक स्थिति में भी अधिक नींद की समस्या हो सकती है. अवसाद और तनाव की स्थिति में शरीर को ज्यादा आराम की जरूरत होती है और लोग ज्यादा सोते हैं.