Hair Care Tips: आपका ब्लड दिला सकता है गंजेपन से छुटकारा, एक्सपर्ट ने इस थेरेपी को लेकर दी बड़ी जानकारी
Happy Independence Day 2024: कर्म का महत्व ईश्वर के सामान है. जब हम अपने कामों को ठीक से करते हैं लगन से करते हैं वही ईश्वर दर्शन हैं. 19 अक्टूबर 1947 को प्रार्थना सभा के बाद महात्मा गांधी का यह सम्बोधन कर्म ही पूजा है के इसी दर्शन के तरफ संकेत है. प्रार्थना सभा के बाद महात्मा गांधी ने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा कि, कोई शरीर तो है नहीं कि शरीर लेकर हमारे सामने खड़ा रहता है. वह तो चतुर्भुज मूर्ति है शंख, गदा, चक्र, पद्म, उसुप है ये सभी हमारी कल्पना है. ईश्वर के पास न शंख है न गदा है और न चक्र. महात्मा गांधी ने अपने संबोधन में ईशर की व्याख्या कई तरीके से की. आज हम आपको भारत की आजादी के इस अवसर पर महात्मा गांधी के इसी सम्बोधन के कुछ वाक्य सुनाने जा रहे है. आप सभी इस वीडियो को ध्यान से देखें और सुनें. इसे सुनने के बाद आपको कई तरह की नयी चीजें जानने का मौका जरूर मिलेगा.