हर हाँकल आ देश चलावल एके ना ह

हर हाँकल आ देश चलावल एके ना ह

फटही गंजी फटहा गँवछा लपेटले

करिया मजीठ देह तोहार

किसान माने इहे

एह से तनिका ओनईस-बीस

ना जानस उ तोहरा बारे में

छुधा भ भात देह भ बसतर

थपरी पीट-पीट

गोहरालs राम-राम

अन्नदाता, जपिलs सतनाम

तोहरा हड़री से बनल खाद से

अउर का उपजी?

ऊ तोहराके इहे जानेलन

अतने भ मानेलन

आ तू बूझि गइलs उनुका के आपन

नयका सूरुज !

अब तोहार सवाल

जबले बियड़ी बनके अँखुआए लागल

फोरे लागल धधकत धरती

चिचिआए लागल जवाब-जवाब

ना, तू धरतीपुत्र ना रहलs अब

तोहराके मनु के मर्दाना बेटा कहल

तनिको ठीक नइखे देश खातिर

तोहार कुल्हि राजनीति भुलवा दियाई

चोन्हा जनि,

हर हाँकल आ देश चलावल

एके ना ह ।

तोहरा पगरी प जतना चमकेलें सूरूज

ओह से क गुना अधिका

उनुका महफिल में चमचमाला

लालकिला उनुकर

तोहरा लालकिला प ना चढ़ल चाहत रहे

तोहार टरायटर हरे जोत सकेला

हथियार चलावेके कामे ना आई ऊ

जा लवटि जा लोग

कुल्हि बीया सूखा रहल बा

एह राजपथ प ना अँखुआई ई

उसर के धूसर ना बनावल जा सके ।

सरग के सँइतल जल

आ तहार सँइतल बीया

सभकर होला

बाकिर उनुका आँखि देखल सपना

आ उनुकर दिहल जबान

ना पूरल बा ना पूरी

तोहार लउरिया राफेल बनिके

भले बिका जाई कहियो

तबो पगरिया

फँसरिये भ कामे आई हो

सीमा प बेटा बधारी में बाप

जे ना पतिआई

ओकरा लागिजाई पाप

‘भारत खण्डे आर्यावर्ते जम्बूद्वीपे’

तू हीं तू , तहरे छाप

ऊ तोहराके बेगर बरियार बनवले

ना छोड़िहें

जल में थल में आकाश में

सगरे सभका से क दिहें मजगूत

भगवान खाली उन्हुके मुँह चिरले बाड़ें

तू भरत रहीहs कुंइया उनुकर

जबले तोहार सवाली बीया

लहसी-लहलहाई

तबले भुता जाई दहकत आँच

कतने चूल्ही के

उत्तर-दक्खिन पूरुब-पच्छिम

चारोंओर से आवs , धावs

कि पेटराग के धुन प

फन फैलावे से पहिले घेरि ल उन्हुका के

कि उन्हुका जवाब त देबहींके परी

कि तोहरा खातिर ना होखे

कवनो ‘शून्यकाल’ उनुका लगे।

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का बुझिहें ऊ

‘जोधा-अकबर’ देखत खा

दिखिया-दिखिया जाले माई

कवनो सिरियल चालू भइल

कि माई के कमेंट्रियो चालू

ई खेला हमरा तनिको नइखे बुझात

नइखे बुझात कि ई काहें

धड़ से केहू के काट देता

गरदनिये उ मरदा

काहें कपार पीटे लागता बेरि-बेरि

नाति-नातिन परेशान

कि ईया त चालू हो गइली

तले बदल जाला चैनल

आ जाला ‘अनूपमा’

आ जाला ‘मेरा यार है तू’

ईया त चालू हो गइली

आ भाग ‘एहनी के त बियहवे नइखे होत’

आ चिंता में डूबि जाली

कि ‘कहिया दो होई बियाह एहनी के’

ईया कुल्हि सिरियलवा में

बियाहे खोजेली

अखेयान करेलें नाति-नातिन

साँचो, केनियो बाजे बाजा

केनियो गवाये गीत

सुनत कहीं कि

बउल मुँह आ घुँचियाइल आँखि

लहस जाला उनुकर

बगल में बियाह के घर

आ छत के परछत्ती से

आधा धर लटकवले ईया

दूलहा देखेके ललक में भुलाइल

आपन अस्सी पार के बुढौती

का बुझिहें नाति-नातिन

ईया के कवनो खेला बुझाव भा ना

बुझेली बियाह

बुझेली जनम

आ हुलस उठेली रहि-रहि के।

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कतना पानी

घो -घो, घो-घो रानी, कतना पानी?

हा ऽ डुबुक , हा ऽ डुबुक

छाती भ ऽ….

नेता जी नेता जी रउवा

का जानी ?

संसद भ ऽ जी ,टी वी भ ऽ

घो घो रानी ,केतना पानी

हा डुबुक हा डुबुक नेटी भ ऽ

नेता जी नेता जी रउवा

का जानी?

अलेक्सन भ ऽ जी वादा भ ऽ

घोघो रानी ,केतना पानी

हा डुबुक हा डुबुक पोरसा भ ऽ

नेताजी नेताजी ,रउवा का जानी ?

कुरसी भ ऽ जी कसरथ भ ऽ

घो घो रानी ,बुड़ल पलानी

हा ऽ डुबुक हा ऽ डुबुक

अबके छानी ?

नेता जी नेता जी ,रउवा

का जानी ?

कागज के नइया पियलस

पानी

हा ऽ डुबक हा ऽ डुबुक !

संपर्क : बी.एस.डीएवी.प.स्कूल, मील रोड, आरा- 802301, बिहार, मो. – 8051513170

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