Hair Care Tips: आपका ब्लड दिला सकता है गंजेपन से छुटकारा, एक्सपर्ट ने इस थेरेपी को लेकर दी बड़ी जानकारी
जहां देश में हिंदू और मुस्लिमों को लेकर राजनीति होती रहती है ऐसे में क्या आप यकीन कर सकते हैं कि हिंदुओं का त्यौहार दशहरा मुस्लिमों की भागीदारी के बिना अधूरा हो सकता है.
आप शायद ना जानते हों कि रावण और मेधनाद के बड़े-बड़े पुतले बनाने वाले और रामलीला के लिए सजावट करने वाले हमारे मुस्लिम भाई ही होते हैं. दिल्ली में 10 दिन के रामलीला उत्सव में मुस्लिम बड़ी संख्या तैयारियों में जुटे हैं.
दिल्ली के चांदनी चौक की श्री धार्मिक लीला समिति रामलीला की तैयारियों मे जुटी है. समिति का कहना है कि किरदारों का चुनना मुश्किल नहीं है, लेकिन मुश्किल काम होता है मंच की सज्जा करना और उनके लिए यह काम हसन करते हैं.
42 वर्षीय हसन कहना है कि वो 12 सालों से अपने कई साथियों के साथ इस काम को कर रहे हैं. हसन ने कहा कि अलग संप्रदाय से होने के बावजूद हम मिलकर इस त्यौहार के माध्यम से हम सब मिलकर बुराई पर अच्छाई की जीत की कहानी सुनाते हैं.
हमारे राजनेता अपने स्वार्थ की खातिर हिंदु और मुस्लिम को बांटते हैं. हम हमेशा दोनों समुदायों के बीच जोड़ने का काम करते हैं.
इसके अलावा 56 साल के शकीला का कहना है कि इस उत्सव में शामिल होने से उसे खुशी मिलती है. शकीला पूरे साल दशहरे का इंताजार करते हैं. शकीला को यह पेशा पूर्वजों से विरासत में मिला है.
रामलीला समिति के अमरीश गुप्ता का कहना है कि इस त्यौहार में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी से से अलग तरह की भक्ति भावना को देखा जा सकता है. इस परंपरा से दोनों समुदायों के बीच होने वाले संघर्ष का असर नहीं होना चाहिए.
मथुरा के बैंड चलाने वाले मलिक राशिद कुरैशी का कहना है कि हम सभी कृष्ण की जन्मभूमि में भी एक साथ सभी त्यौहार मनाते हैं. राशिद भी रामलीला के लिए तैयारियों में जुटे हैं.
इस तरह से देखा जाए तो इसका अपना अलग सांस्कृतिक महत्व है. इतिहास में जाएं तो मुगल बादशाह शाहजहां भी अपना सेना से के साथ सभी त्यौहारों को मनाते थे और दशहरा भी ऐसा ही त्यौहार था. उस समय यह त्यौहार यमुना के तट पर लाल किले के पीछे मनाया जाता था.