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रिटायर एयर फोर्स ऑफिसर बिनोद कुमार कौन बनेगा करोड़पति के आज के एपिसोड में हॉट सीट पर नज़र आ रहे हैं. केबीसी से जीती हुई राशि को रांची के रहने वाले बिनोद झारखंड के कुछ खास जिलों के गरीब तबके के बच्चों के कैरियर को नई दिशा देने में खर्च करना चाहते हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
केबीसी का हिस्सा बनने के बाद कैसा रिस्पांस मिल रहा है ?
बहुत उत्साहजनक है. रांची बहुत छोटी सी जगह है. उस जगह में जितने भी मेरे जानने वाले लोग हैं. वो लोग मुबारकबाद दे रहे हैं कि मैंने रांची का नाम रोशन कर दिया है तो यह बहुत ही खास वाली फीलिंग है.
कौन बनेगा करोडपति के लिए कितने समय से आप किस्मत आजमा रहे हैं ?
जब से इसका पहला सीजन ऑन एअर हुआ है उस वक़्त से।क्विज को लेकर मेरा बचपन से ही रुझान रहा है. कई प्रतियोगिता में स्कूल के दिनों से ही हिस्सा लिया करता था यही वजह है कि केबीसी भी दिल के करीब था. एक बार केबीसी में पूरा सप्ताह फौजियों के लिए था. उसमें भी बहुत कोशिश की लेकिन नहीं हुआ था. ग्राउंड ऑडिशन तक दो बार पहुंचा था लेकिन उसके आगे सफलता नहीं मिल पायी थी.
जब आपको मालूम हुआ कि आप केबीसी का हिस्सा आखिरकार बन गए तो क्या जेहन में था ?
यह मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था. मैं कन्फ्यूशियस का छात्र रहा हूं वो कहते भी हैं कि जब कोई लक्ष्य आप साधते हो और लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रहे हो तो लक्ष्य में नहीं प्रयासों में बदलाव करो. मैंने वही किया. हमेशा अलग अलग तरीकों से कोशिश करता रहा. इस बार कोविड की वजह से सारे टेस्ट्स ऑनलाइन हुए तो और बेहतरीन तरीके से खुद को प्रस्तुत करने का मौका मिला.
आप डिफेंस एयर अकादमी चलाते हैं किस तरह से लॉकडाउन और मौजूदा से में आप स्टूडेंट्स से जुड़े रहे ?
झारखंड सरकार द्वारा सारी अकादमी को लॉकडाउन में बंद कर दिया गया था. हम ऑनलाइन क्लासेज के ज़रिए उनसे जुड़े थे. ग्रामीण परिवेश के बच्चों को नेटवर्क की समस्या बहुत हो रही है. उनके क्लासेज बीच बीच में ब्रेक हो जाते हैं.उसका दुख होता है. वैसे हमारे कुछ बच्चे एनडीए पास किए थे. एसएसबी इंटरव्यू के लिए जाने वाले थे. कुछ लोग कोविड की वजह से नहीं जा पाए . कुछ गए तो ऑनलाइन के ज़रिए हमने उन्हें गाइड करने की कोशिश की. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस बार झारखंड से एनडीए में सिर्फ एक बच्चा गया है श्रेयांश सिन्हा. डीपीएस रांची का यह बच्चा मेरा स्टूडेंट है. वो एयरफ़ोर्स में ऑफिसर बन रहा है.
जीती हुई राशि का आप क्या करेंगे ?
भगवान की दया से मेरे पास सबकुछ है. मैं रिटायर फौजी हूं. मेरी पत्नी भी नौकरी करती है।मैंने पहले से ही तय कर लिया था कि मुझे जो भी धनराशि केबीसी में मिलेगी. वो इंस्टिट्यूट में लगाऊंगा. ग्रामीण के बच्चों के लिए काम करूंगा. गुमला,लोहरदगा, खूंटी,लातेहार यहां के बच्चे बहुत सम्पन्न परिवार से नहीं आते हैं. वहां के बच्चों के लिए मैं कुछ करना चाहता हूं. उनके सपनों को पंख देना चाहता हूं.
क्या आपको लगता है कि बिहार झारखंड में प्रतिभाओं की कमी नहीं बस मौकों और संसाधनों की है ?
हां बिल्कुल और सीमित संसाधनों में वे बहुत अच्छा कर रहे हैं. सेना के प्रति जो रुझान बिहार और झारखंड के बच्चों में है. वो कहीं नहीं है. एक जज्बा है. सभी चीजों में बहुत अच्छे हैं फिजिकल फिटनेस हो या दूसरी चीजों में सिर्फ अंग्रेज़ी का ज्ञान कम है. अगर उचित मागर्दर्शन मिले तो वो किसी भी राज्य के बच्चों के बराबर हैं. मैंने ये भी गौर किया है कि जो गरीव तबके से आते हैं वो ही सेना में जाते हैं क्योंकि उनके पास वही एक मौका होता है. अमीर परिवार के लड़के आईआईटी सहित दूसरी चीज़ें कर लेते हैं लेकिन गरीब परिवार के बच्चों को एक ही ऑप्शन सेना में नज़र आता है और वे इसके लिए जी जान लगा देते हैं. मैं बस उनकी लिखित परीक्षा को गाइड करता हूं. वैसे इन बच्चों के साथ मैं भी दौड़ता हूं. मेरा भी फिटनेस अच्छा रहता है और बहुत कुछ सीखने को मिलता है.
बिग बी के साथ अनुभव को किस तरह से परिभाषित करेंगे ?
किसी भी परिवेश के लोग जो उनके पास जाते हैं वो उनको सहज कर देते हैं अपने व्यवहार और बातों से. वो ऑन कैमरा ही नहीं ऑफ कैमरा भी लगातार बातें करते हैं. कभी अपने परिवार के बारे में तो कभी फिल्मों से जुड़े अपने को आर्टिस्ट के बारे में. अनुपम खेर के बारे में मुझसे चर्चा की. बिग बी अपने विनम्रता और सादगी से इतना सहज कर देते हैं भारी भरकम सेट ,लाइट और कैमरे के सामने आप अपना 100 प्रतिशत देते हैं.
Posted By: Shaurya Punj