Halloween Day 2020 : हैलोवीन डे हर साल यह त्‍योहार 31 अक्टूबर को मनाया जाता है. यह त्‍योहार भारत में देर से लोकप्रिय हुआ है. इस दिन खासकर बॉलीवुड सेलेब्‍स पार्टियों का आयोजन करते हैं और उसी तरह से तैयार होते हैं. इस दिन लोग डरावना मेकअप करते हैं और इसी तरह की पोशाक भी पहनते हैं. हैलोवीन मुख्य रूप से पश्चिमी देशों का त्योहार है. वहां इसे धूमधाम से मनाया जाता है. एक्‍टर आसिम रियाज से लेकर मा‍ही विज तक कई स्‍टार्स की हैलोवीन डे की तैयारी कर ली है.

आसिम रियाज ने अपने चेहरे पर एक डरावना मास्‍क लगाकर फैंस को चौंका दिया है. उनकी यह तसवीर तेजी से वायरल हो रही है. वहीं एक्‍ट्रेस माही विज ने हैलोवीन डे की बधाई देते हुए बेटी का ए‍क वीडियो पोस्‍ट किया है जिसमें वह ब्‍लैक आउटफिट में बेहद प्‍यारी लग रही हैं. जय भानुशाली ने भी अपनी बेटी का हैलोवीन लुक वाला फोटो शेयर की किया. इसे बेहद पसदं किया जा रहा है.


हैलीवीन का इतिहास

कुछ देशों में, लोग पूर्वजों की कब्र पर और चर्च में मोमबत्तियाँ जलाते हैं. कुछ ईसाई धर्म के लोग इस दिन मांसाहारी भोजन करने से भी परहेज करते हैं. हैलोवीन कैसे विकसित हुई और इसके मूल कई सिद्धांत हैं, जबकि कई विद्वानों का मानना है कि इसकी जड़ें ईसाई हैं, लेकिन अब इसे व्यापक रूप से मनाया जाता है. इनका मानना था कि इस दौरान जीवित और मृत लोगों के बीच की दीवार छोटी हो जाती है और वे जीवन में वापस आ जाते हैं. इस दिन अपवित्र आत्माओं को खुश करने के लिए, लोगों अलाव जलाते हैं और डरावना मास्‍क पहनते हैं और वैसा ही मेकअप करते हैं. वहीं माना यह भी जाता है कि इसकी शुरुआत आयरलैंड और प्राचीन ब्रिटेन में हुई थी. उनके समकालीन कैलेंडर के अनुसार, वर्ष हैलोवीन के साथ समाप्त होता है और नए साल की शुरुआत होती है.

इसका महत्व

अक्टूबर के अंत के साथ, सर्दियों का मौसम शुरू होता है और वातावरण में गर्मी लाने के लिए लोग हैलोवीन मनाते हैं. रोशनी और मोमबत्तियों के साथ, तापमान गर्म रहता है. लोग बुरी आत्माओं से डरने के लिए और अच्छी आत्माओं का साथ देने के लिए हिलटॉप्स पर अलाव जलाते हैं. हैलोवीन बड़ों के साथ साथ विशेषकर बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया है. भारत में इसके लिए कोई अवकाश नहीं होता है लेकिन इस साल 31 अक्‍टूबर को वाल्मीकि जयंती और शरद पूर्णिमा है, इसलिए एक दिन की छुट्टी मिल सकती हैं.

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डरावना ड्रेसप करते हैं

इस दिन लोगों की वेशभूषा डरावनी होती है. लोग कपड़ों के साथ साथ चेहरे पर भी डरावना मे‍कअप करते हैं और लोगों को बधाई देते हैं. ड्रेसिंग की प्रैक्टिस आयरलैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में 16 वीं शताब्दी में शुरू हुआ, जहां लोग घर-घर जाकर विभिन्न वेशभूषा, कविता या गीत के बदले भोजन मांगते थे.