रियलिटी शो ‘खतरों के खिलाड़ी’ का नया सीजन दस्तक दे चुका है. एक बार फिर रोहित शेट्टी इस सीजन को होस्ट करते नजर आ रहे हैं. वे कहते हैं कि शो चल रहा है. उसके लिए मैं शुक्रगुजार हूं. यह एक आइकॉनिक शो बन गया है. खासकर, ऐसे दौर में जहां हमारे दर्शक चुनिंदा हो गये हैं और उनके पास बहुत सारे ऑप्शन हैं. ऐसे में शो या फिल्म का चलना, मुझे लगता है कि इसके लिए हमें ग्रेटफुल होना चाहिए. रियलिटी शो और अबतक के उनके कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

‘खतरों के खिलाड़ी’ शो से जुड़ी जर्नी को आप किस तरह से परिभाषित करेंगे?

ये मेरा आठवां सीजन है. एक सीजन हमने पेंडेमिक में भी किया था. यह मुश्किल शो है. इसे करना इतना आसान नहीं है, क्योंकि यह स्टूडियो बेस्ड शो नहीं है. दूसरे देश में शूटिंग होती है. मौसम और तापमान से भी दिक्कत आती है. 55 दिन एक साथ शूटिंग होती है. एक्शन होता है. शारीरिक तौर पर बहुत मेहनत लगती है. मुझे लगता है कि यही खासियत इस शो को दूसरे शोज से अलग बनाती है. हम हमेशा सोचते हैं कि अगला सीजन पिछले सीजन से कैसे बेहतर होगा. चीजें फिर से दोहरानी नहीं है, इस पर हम बहुत काम करते हैं.

बीते साल इस शो ने काफी टीआरपी बटोरी थी. क्या टीआरपी का प्रेशर रहता है?

टीआरपी का प्रेशर रहता है, क्योंकि शो इतना बड़ा है. फिल्म का क्या है कि एक फ्राइडे आया, फिर चला गया. मगर इस शो में हर हफ्ते रहता है. इस शो को करते-करते एक बात समझ आयी है कि यह शो बच्चों को काफी पसंद है. ‘गोलमाल’, ‘सिंघम’ के अलावा वे ‘खतरों के खिलाड़ी’ की खूब बात करते हैं.

आपका डर क्या रहा है, जिसे आपने गुजरते वक्त के साथ कम किया?

आपको हैरानी होगी कि मुझे पब्लिक का डर था. स्टेज पर खड़े होकर बात करने में मेरे पसीने छूट जाते थे. स्कूल में अगर स्टेज पर कुछ होता था, तो मैं नहीं कर पाता था.

एक्शन में आपका रुझान कैसे हुआ?

निश्चित तौर पर मेरे पिता हैं. उनको बचपन से काम करते देखते आया था, तो लगा कि यही सब करते हैं, तो मैंने भी इसे अपना प्रोफेशन बना लिया.

आप अपने पापा संग सेट पर जाते थे?

बहुत बार गया हूं. ‘काला पत्थर’,‘शालीमार’ के सेट पर गया था. ‘शालीमार’ का सेट मैंगलोर पैलेस में था. उस वक्त सबकुछ रियल था. वीएफएक्स जैसा कुछ भी नहीं था. अमित जी, धर्मेंद्र जी खुद से स्टंट करते थे. जब मैं असिस्टेंट एक्शन डायरेक्टर बना तो अक्षय, अजय व सुनील शेट्टी खुद से स्टंट करते हैं.

आपके पिता एक्टर भी थे. क्या आपका रुझान कभी एक्टिंग में नहीं गया?

नहीं, मेरा रुझान कभी एक्टिंग में नहीं गया. अब तो और भी नहीं सोच पाता हूं. निर्देशन, होस्टिंग के अलावा फिल्म निर्माण में भी हूं, तो कुछ और करने के लिए समय नहीं होता है.

आपकी फिल्मों ने हीरोइज्म की एक अलग परिभाषा गढ़ी है. ‘हीरोइज्म’ क्या है?

जब दर्शक थिएटर में बैठे हों और एक्टर को देख उन्हें लगे कि ये मैं हो सकता हूं. मुझे लगता है कि यही हीरोइज्म है.

फिल्म ‘सर्कस’ की असफलता पर आपका क्या कहना है? इसे कैसे डील किया?

उस फिल्म से उम्मीद बहुत थी, पर ये भी हकीकत है कि उस फिल्म में ना गाड़ियां उड़ रही थीं, ना ही कॉमेडी थी. डल मोमेंट बहुत सारे थे. मुझे लगता है कि यही वजह है. वरना, आपको नीचा दिखाने के लिए दस हजार लोग दस चीजें बोलते हैं. यूट्यूब पर मजाक बनाने वाले मीम्स को मैं महत्व नहीं देता हूं. फिल्म ‘दिलवाले’, ‘जमीन’, ‘संडे’ में इस फेज से गुजर चुका हूं. अगर मैं सोचता हूं कि मैं 15 से 20 फिल्में बनाऊंगा, तो तीन से चार बार ‘सर्कस’ का फेज भी आयेगा. वैसे मुझे अनुपम खेर की एक बात हमेशा याद रहती है. उन्होंने कहा था, जब आप सफल इंसान बन जाते हैं, तो उसके बाद आपका कोई प्रोजेक्ट असफल होता है तो आप नहीं, बल्कि वो प्रोजेक्ट असफल होता है.

क्या दर्शकों की पसंद बदल गयी है?

हम एक दौर से गुजर रहे हैं. सिर्फ मेरी बात नहीं है, बल्कि पूरी इंडस्ट्री इस दौर से गुजर रही है. हमें ये बात मान लेनी चाहिए कि एक नया ट्रेंड आ रहा है. कई ऐसी फिल्में हैं, जो सिर्फ ओटीटी पर ही चलेंगी. बड़ी फिल्मों के लिए ही लोग थिएटर में आयेंगे. हम सबको इस दौर को समझना और सीखना पड़ेगा. इंडस्ट्री में हमेशा ऐसा बदलाव का दौर आता रहता है. मगर, पेंडेमिक ने इस बदलाव को जल्दी ले आया.

रिमेक फिल्मों से बॉलीवुड को बचने की जरूरत है?

मुझे नहीं लगता कि रिमेक से परेशानी होनी चाहिए. सबका अपना कॉन्फिडेंस और टेक होता है. सब अलग तरह से उसे प्रस्तुत करते हैं, तो उसमें दिक्कत क्या है.

‘सिंघम 3’ कब शूटिंग फ्लोर पर जा रही है?

मेरी वेब सीरीज ‘पुलिस फोर्स’ का पोस्ट प्रोडक्शन का काम बचा हुआ है. उसके बाद ही ‘सिंघम 3’ शूटिंग फ्लोर पर आयेगी. हालांकि, इस साल के अंत तक यह शूटिंग फ्लोर पर जायेगी.

बिग बॉस टीवी के साथ-साथ ओटीटी पर भी आने लगा है. क्या आपकी भी ऐसी कोई प्लानिंग है?

ये तो कलर्स पर है कि वह क्या करना चाहता है ( हंसते हुए ). वो मुझे जहां बोलेंगे, मैं शो होस्ट करके आ जाऊंगा.