24.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 07:46 pm
24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नये-नये प्रयोग करने में माहिर हैं करण जौहर

Advertisement

करण जौहर ने हाल में ट्वीट किया है कि उनके पास जो कुछ भी है वो ‘कुछ-कुछ होता है’ फिल्म के जरिए है. ये सच है कि करण जौहर ने इस फिल्म के जरिए नई पहचान बनाई. लेकिन इसके अलावा करण जौहर की कई और फिल्में भी हैं जिन पर चर्चा की जानी जरूरी है. […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

करण जौहर ने हाल में ट्वीट किया है कि उनके पास जो कुछ भी है वो ‘कुछ-कुछ होता है’ फिल्म के जरिए है. ये सच है कि करण जौहर ने इस फिल्म के जरिए नई पहचान बनाई.

लेकिन इसके अलावा करण जौहर की कई और फिल्में भी हैं जिन पर चर्चा की जानी जरूरी है. करण जौहर ने हमेशा बड़े बजट और भारी भरकम स्टार कास्ट वाली फिल्में बनाई हैं.
1975 में मुंबई में जन्मे करण जौहर ने बॉलीवुड फिल्मों को विदेशों में भी पुहंचाया है.करण जौहर की फिल्मों में कुछ- कुछ होता है, कभी कुशी कभी गम, कभी अलविदा ना कहना, माइ नेम इज खान जैसी सफल फिल्में शामिल हैं.
1. कुछ कुछ होता है
करण जौहर की 1988 में आई फिल्म ‘कुछ कुछ होता’ है ने कॉलेज लाइफ को इतने जीवंत तरीके से दिखाया है कि उस समय कॉलेज का हर लड़का वैसी ही जिंदगी जाना चाहता था. फिल्म को फिल्मफेयर पुरस्कार से भी नवाजा गया. इस त्रिकोणीय प्रेम कहानी की सफलता का सबसे बड़ा राज ये भी है कि इसने उस समय के दर्शकों की नब्ज को पकड़ा एक कॉलेज जा रहे युवा को टारगेट किया.
हमेशा के लिए राहुल (शाहरूख खान) को छोड़ कर जाती अंजली (काजोल) के आंसुओं के साथ कोई लड़की क्यों नहीं रोती, और कोई लड़का क्यों नहीं आहें भरता राहुल और टीना (रानी मुखर्जी)को देखकर. अगर ये फिल्म 2014 में आती तो शायद इतनी सफल नहीं होती क्योंकि अब हर हाथ में मोबाइल है, फेसबुक है. कोई बिछड़ने पर ऐसे नहीं रोता है.हां टीना की मौत पर दर्शक आज भी रोते लेकिन शायद उतना नहीं.
करण दर्शकों की नब्ज को जानते हैं. उन्होंने युवाओं को खूब रुलाया है यही उनकी फिल्मों के हिट होने का राज है. हालांकि हंसाया भी है लेकिन उतना ज्यादा नहीं.
2. कभी अलविदा ना कहना
2006 में आई फिल्म कभी अलविदा ना कहना कुछ-कुछ होता है से काफी अलग थी. बदलते समय के साथ करन ने विषय भी बदला और दर्शकों के सामने एक नई तरह की प्रेम कहानी रखी. इस फिल्म में करन जौहर भारी भरकम स्टार कास्ट के साथ उतरे. फिल्म में सुपरस्टार अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, अमिताभ बच्चन, प्रीती जिंटा, रानी मुखर्जी अभिषेक बच्चन और किरन खेर और अर्जुन रामपाल शामिल थे.
फिल्म आधुनिक जीवन शैली में पनपने वाले विवाहेतर संबंधों पर बात करती है. यही नहीं फिल्म ने इस तरह के संबंधों को जस्टीफाइड करने की कोशिश की है. देव सारन (शाहरूख खान) और माया तलवार (रानी मुखर्जी) का रिश्ता इसी तरह का है. ऋषि तलवार (अभिषेक बच्चन) माया का पति है. तो वहीं रेहा सारेन (प्रीति जिंटा) देव सोरेन की पत्नि है.
फिल्म दिखाती है किस तरह से आजकल विवाहेतर संबंध उभरते हैं. उसके कारण, परिणाम सभी पहलुओं को गहराई से उभारती है. पूरी फिल्म एक एंगल के साथ चलती हुई कहानी को जस्टीफाइड करने में सफल हो जाती है. इसमें उनका निर्देशन उभर कर सामने आया है. फिल्म भारते के साथ साथ विदेशों में भी काफी सफल रही.
3. कभी खुशी- कभी गम
2001 में आई फिल्म कभी कुशी कभी गम में भी करन भारी स्टार कास्ट के साथ उतरेफिल्म में अमिताभ बच्चन, जया भादुड़ी, शाहुरूख खान, ऋतिक रोशन काजोल और करीना थी.
फिल्म में रोमांस फैमिली ड्रामा कॉमेडी सब कुछ शामिल था. फिल्म में प्रेम, मां-बाप का प्यार, विदेशों में रहने गए भारतीयों का भारत से जुड़ाव बहुत कुछ शामिल हैं दिल्ली के चांदनी चौक की गलियां हैं विदेशों की चमचमाती सड़कें भी. देखा जाए तो फिल्म में बहुत कुछ खास नहीं है लेकिन करन दर्शकों को हंसाने और रुलाने में कामयाब हो जाते हैं. यही उनके सधे हुए निर्देशन की पहचान है.
4. माइ नेम इज खान
इस फिल्म में करन कुछ भिन्न विषय के साथ उतरते हैं. फिल्म अल्पसंख्यक समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव के मुद्दे को उठाती है. मुस्लिम लड़के रिजवान (शाहुरूख खान) के जिंदगी के आसपास घूमती है ये कहानी. मानसिक रूप से बीमार रिजवान को दोतरफा संघर्ष करना पड़ता है. एक अल्पसंख्यक होने के कारण तो दूसरा कारण औरों से अलग होने के कारण. रिजवान और पत्नी हिंदू पत्नि मंदिरा ( काजोल) के संघर्ष को दिखाती फिल्म बहुत से सवाल छोड़ जाती है.
2010 में आई इस फिल्म को धर्मा प्रोडक्शन और रेड चिलीस एंटरटेनमेंट ने मिलकर बनाया. फिल्म का बजट 100 करोड़ रुपये था. करन ने लंबे समय बाद शाहरूख और काजोल की जोड़ी को साथ उतारा तो फिल्म ने रिलीज होने से पहले ही काफी सुर्खियां बटोर ली थी. फिल्म ने कमाई के कई रिकॉर्ड तोडं दिए थे. हालांकि मुंबई में फिल्म को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें