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नयी दिल्ली: कवि एवं गीतकार जावेद अख्तर ने शनिवार को यहां कहा कि अपनी कविताओं के जरिये सच्चाई बयां करने और सही बात के लिए लड़ते समय अपने उग्र रवैये के लिए जाने जाने वाले साहिर लुधियानवी निजी जिंदगी में बिल्कुल विपरीत थे.
अख्तर ने यहां ‘जश्न ए रेख्ता’ उत्सव में कहा, वह विरोधाभासी व्यक्तित्व वाले इंसान थे. यदि मैं कहूं कि वह अच्छे व्यक्ति थे, तो उनके बारे में इससे अधिक उबाऊ बात और कोई नहीं हो सकती. जब वह अच्छे होते थे तो उनकी अच्छाई की कोई सीमा नहीं थी और जब वह किसी से गुस्सा होते थे, तो उसकी भी कोई सीमा नहीं होती थी. मैं उनके साथ एक पेंडुलम की तरह था. साहिर एक अमीर जमींदार की इकलौती संतान थे.
साहिर जब बच्चे थे तभी उनके माता-पिता का तलाक हो गया था, जिसके बाद वह अपनी मां के साथ रहे और उन्होंने एक सफल कवि एवं गीतकार बनने से पहले गरीबी में जीवन बिताया. अख्तर ने कहा कि लुधियानवी ने जीवन में जो कुछ सहा, उसे देखकर यह सोचना गलत होगा कि इतने सफल कवि का जीवन काफी आसान रहा होगा. 74 वर्षीय अख्तर ने कहा, क्या आपको लगता है कि एक आसान जीवन जीने वाला व्यक्ति अपनी पुस्तक का नाम ‘तल्खियां’ रखता? यह संभव नहीं है.
अख्तर ने बताया कि लुधियानवी का अपनी मां के साथ जो लगाव और रिश्ता था, वैसा मां-बेटा का रिश्ता उन्होंने कहीं नहीं देखा. उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक बार लुधियानवी ने अपने घर में आयोजित एक समारोह में राजनीतिक हालात पर टिप्पणी की जिस पर सभी ने सहमति जतायी.
अख्तर ने कहा, लुधियानवी ने सबका शुक्रिया अदा किया और बातचीत के बीच में ही वह घर के दूसरे कोने में अपनी मां के पास गए और उन्हें पूरी घटना बताई कि किस प्रकार अन्य लोगों ने उनके नजरिये की सराहना की. इसके बाद वह वापस आ गए.
अख्तर ने कहा कि लुधियानवी मंत्रियों को झिड़क सकते थे, निर्देशकों, निर्माताओं एवं संगीतकारों के लड़ सकते थे, लेकिन दूसरी ही तरफ वह छोटी-छोटी बातों के लिए अपनी मां की मंजूरी लेते थे. उन्होंने कहा, वह केवल एक व्यक्ति नहीं थे, उनके भीतर कई इंसान रहते थे.