Prakash Jha Interview: कलाकार होना नहीं, बल्कि पहचान मिलना मुश्किल है

पणजी : देश में बड़े-बड़े सितारों के साथ कई सफल फिल्में देने और समीक्षकों द्वारा सराहे जाने के बावजूद निर्देशक प्रकाश झा का कहना है कि अपनी फिल्मों को थिएटर तक लाने में उन्हें लगातार संघर्ष करना पड़ा. कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके निर्देशक ने ‘दामुल’, ‘मृत्युदंड’, ‘गंगाजल’, ‘अपहरण’, ‘राजनीति’ जैसी कई सफल फिल्में दी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2019 5:49 PM
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पणजी : देश में बड़े-बड़े सितारों के साथ कई सफल फिल्में देने और समीक्षकों द्वारा सराहे जाने के बावजूद निर्देशक प्रकाश झा का कहना है कि अपनी फिल्मों को थिएटर तक लाने में उन्हें लगातार संघर्ष करना पड़ा. कई राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके निर्देशक ने ‘दामुल’, ‘मृत्युदंड’, ‘गंगाजल’, ‘अपहरण’, ‘राजनीति’ जैसी कई सफल फिल्में दी हैं.

हालांकि उनका मानना है कि कला से हटकर पैसा कमाने की चाह रखने वालों के लिए यह एक मुश्किल प्रक्रिया है. उन्होंने कहा, मेरे लिए अपनी फिल्मों को सिनेमाघर तक पहुंचाना कभी आसान नहीं रहा. संघर्ष लगातार बना रहा. कई फिल्में रिलीज होने और सफल होने के बावजूद यह संघर्ष कभी आसान नहीं रहा.

अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) से अलग हर साल आयोजित होने वाले ‘एनएफडीसी फिल्म बाजार’ में झा ने एक साक्षात्कार में कहा, किसी को यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि वह ब्रांड बन गया है और जो चाहे वह रिलीज कर सकता है. कभी-कभी किसी फिल्म को रिलीज करने में आपको पूरा जीवन झोंकना पड़ता है.

उन्होंने कहा, कलाकार होना उतना मुश्किल नहीं है जितना कि पहचान मिलना मुश्किल है. मेरा मानना है कि प्रत्येक व्यक्ति एक कलाकार होता है, मैं तो उनमें से महज एक हूं जिन्होंने इसे करियर के तौर पर चुना और यह एक मुश्किल प्रक्रिया है.

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