Railway NTPC Exam Date 2024: जल्द खत्म होगा इंतजार! आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा का जानें लेटेस्ट अपडेट
नयी दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने गुरुवार कोएम.फिल, एमटेक शोध प्रबंध, पीएचडी थीसिस शोध के डिजिटल प्रस्तुतीकरण के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। जेएनयू के रेक्टर -1 के प्रोफेसर चिंतामणि महापात्रा के एक बयान के अनुसार, इस प्रस्ताव को विश्वविद्यालय की 286 वीं कार्यकारी परिषद की बैठक में मंजूरी दी गई थी. बयान में कहा गया, ‘‘जेएनयू भारत में डिजिटल माध्यम से शोध प्रबंध और थीसिस प्रस्तुत करने की इस नवीन प्रक्रिया को शुरू करने जा रहा है.
इसमें एम.फिल शोध प्रबंधों, एमटेक शोध प्रबंधों और पीएचडी थीसिस प्रस्तुत करने की समयबद्ध, परेशानी मुक्त और अति सुविधाजनक प्रक्रिया की सुविधा होगी.” जेएनयू ने पहले से ही एक ऑनलाइन थीसिस-ट्रैकिंग सिस्टम रखा है. कोविड-19 महामारी से पहले भी, विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने शोध डिग्री देने के के लिए मौखिक परीक्षाएं आयोजित करने के लिए अधिकृत किया था.
बयान में कहा गया है कि महामारी के दौरान डॉक्टरेट की उपाधियों के लिए 150 से अधिक मौखिक परीक्षा (वाइवा वोसी) ऑनलाइन आयोजित की गई है। जेएनयू के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय ने पिछले चार वर्षों में डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाकर कई प्रक्रियाओं को सुगम बनाया है और आगे भी इस तरह के कई और सुधार होने जा रहे हैं.
शोध प्रबंधों और शोधपत्रों को ऑनलाइन जमा करने की प्रक्रिया में छात्रों द्वारा “नो ड्यूज क्लीयरेंस” फॉर्म जमा करना शामिल है. स्कूल या केंद्र कार्यालय ऑनलाइन छात्रों के लिए प्रासंगिक मंजूरी के अधिग्रहण की प्रक्रिया करेंगे और छात्रों को अब नई प्रक्रिया के तहत “नो ड्यूज” मंजूरी प्राप्त करने के लिए भौतिक रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना होगा। बयान में कहा गया है कि सभी आधिकारिक आवश्यकताएं, जैसे ड्राफ्ट के शोध प्रबंधों और शोध प्रबंधों की जांच और फीस का भुगतान डिजिटल तरीके से किया जाएगा.
जेएनयू के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय ने पिछले चार वर्षों में डिजिटल तकनीकों को अपनाते हुए कई प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित किया है और इस तरह के और सुधारों की शुरुआत हो रही है. उन्होंने कहा, “अगर जेएनयू को एक अच्छा शोध बुनियादी ढांचा बनाने के अलावा, दुनिया के शीर्ष विश्वविद्यालयों में से एक बनना है, तो कुशल प्रशासनिक और शैक्षणिक प्रक्रियाओं को शुरू करके विश्वविद्यालय में एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाना भी महत्वपूर्ण है,”.