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RBI: दुनिया के कई देश आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं. जबकि, भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है. ऐसे में हमारे देश में हो रहे आर्थिक सुधारों की पूरी दुनिया मुरीद हो रही है. इन सुधारों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की भी जमकर तारीफ हो रही है. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने अब आरबीआई की जमकर सराहना की है. उन्होंने कहा कि आरबीआई वित्तीय क्षेत्र में संचालन व्यवस्था और पारदर्शिता में सुधार के लिए गंभीर प्रतिबद्धता दिखा रहा है और उसके उपाय बैंकों को अधिक मजबूत और पारदर्शी बना रहे हैं. रिजर्व बैंक के हाल के उपाय वित्तीय संस्थानों के अति-उत्साह को कम करेंगे, नियमों के पालन की संस्कृति को बढ़ाएंगे और ग्राहकों के हितों की रक्षा करेंगे. हालांकि, इससे संस्थानों के लिए पूंजी लागत भी बढ़ेगी.
गोल्ड लोन से दो NBFC को रोका
आरबीआई के उपायों में आईआईएफएल फाइनेंस लि. और जेएम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लि. को क्रमशः स्वर्ण कर्ज और शेयरों के बदले ऋण देने से रोकना शामिल है. इसके अलावा, आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक लि. (पीपीबीएल) को नये ग्राहकों को जोड़ने से भी मना किया है. एसएंडपी के अनुसार, आरबीआई ने बार-बार तकनीकी गड़बड़ी के बाद दिसंबर, 2020 में एचडीएफसी बैंक को नये क्रेडिट कार्ड ग्राहकों को लेने से रोका था. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि ये कदम नियमों के उल्लंघनों को लेकर लगाये जाने वाले नाममात्र के वित्तीय जुर्माने से अलग हैं. एसएंडपी ग्लोबल क्रेडिट विश्लेषक गीता चुघ ने कहा कि आरबीआई ने वित्तीय क्षेत्र को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दिखाया है. हालांकि, इन नियामकीय उपायों को लेकर जोखिम भी है. इससे वृद्धि बाधित हो सकती है और वित्तीय संस्थानों के लिए पूंजी की लागत बढ़ सकती है.
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पारदर्शी प्रणाली बना रही आरबीआई
एसएंडपी के अनुसार, आरबीआई नियमों का पालन नहीं होने, ग्राहक शिकायतों, आंकड़ों की गोपनीयता, कामकाज, अपने ग्राहक को जानों (केवाईसी) और मनी-लॉन्ड्रिंग निरोधक मुद्दों को लेकर ज्यादा सख्त है. गीता चुघ ने कहा कि देश में वित्तीय क्षेत्र के लिए संचालन व्यवस्था और पारदर्शिता प्रमुख कमजोरियां रही हैं. आरबीआई के नये उपाय अधिक मजबूत और पारदर्शी वित्तीय प्रणाली बना रहे हैं. आरबीआई ने सार्वजनिक रूप से उन प्रमुख मुद्दों का खुलासा करने का निर्णय लिया है जो संबंधित संस्थाओं के खिलाफ निलंबन या अन्य सख्त कार्रवाई का कारण बनते हैं. केंद्रीय बैंक उन गतिविधियों की निंदा करने में भी अधिक मुखर हो गया है जिन्हें वह ग्राहकों और निवेशकों के हितों के लिए नुकसानदायक मानता है.
(भाषा इनपुट के साथ)
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