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नई दिल्ली : सरकार ने सोमवार को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन यह साफ कर दिया है कि पेट्रोल-डीजल को फिलहाल वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने की उसकी कोई योजना नहीं है. उसने कहा है कि जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को जीएसटी के दायरे में शामिल करने की कोई सिफारिश नहीं की है. लोकसभा में सांसदों की ओर से पूछे गए सवालों के जवाब में सरकार ने ये बातें कहीं हैं.
लोकसभा में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने के मुरलीधरन, भर्तृहरि महताब, सुप्रिया सुले और सौगत राय आदि सदस्यों के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी. सदस्यों ने सवाल किया था कि क्या डीजल-पेट्रोल की कीमतों पर नियंत्रण के लिए पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की योजना है? मंत्री ने जवाब दिया कि वर्तमान में इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की कोई योजना नहीं है. अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है.
इसके पहले, सरकार ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र की ओर से लगाए जाने वाले उत्पाद शुल्क के जरिए राजस्व वसूली 88 फीसदी बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया. केंद्रीय मंत्री तेली ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल एवं डीजल पर उत्पाद शुल्क का कलेक्शन बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो इससे एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये था.
उन्होंने कहा कि यह संग्रह और भी बढ़ा होता, लेकिन लॉकडाउन और दूसरे प्रतिबंधों के कारण ईंधन की बिक्री में कमी आई. केंद्रीय मंत्री रामेश्वर तेली के अनुसार, 2018-19 में पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क के जरिए 2.13 लाख करोड़ रुपये के राजस्व का संग्रह हुआ था.
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Posted by : Vishwat Sen
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