दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में जारी जी20 देशों की शिखर सम्मेलन में क्रिप्टो करेंसी को लेकर बड़ा फैसला लिया गया. जी20 में शामिल सभी देश इस बात पर सहमत हो गए हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने के लिए एक वैश्विक कानून की जरूरत है. इसके लिए एक ग्लोबल रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क बनाने की जरूरत है. इस बात की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हम क्रिप्टोएसेट इकोसिस्टम में तेजी से हो रहे विकास और जोखिमों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को जी20 वित्तीय समावेशन कार्य योजना में भी एकीकृत किया गया है, जो 2024 और 2026 के बीच चलेगा.

ग्लोबल रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क बनाने से क्रिप्टो करेंसी के गलत इस्तेमाल पर कसेगी नकेल

ग्लोबल रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क बनाने से क्रिप्टो करेंसी के गलत इस्तेमाल पर नकेल कसी जा सकती है. इस समय पूरे विश्व में क्रिप्टोकरेंसी से आतंकी फंडिंग और गलत काम में इस्तेमाल का खतरा बना हुआ है.

पीएम मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी जैसे उभरते डिजिटल माध्यमों के खतरे की ओर किया था इशारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन से पहले कहा था कि आतंकवादी संगठन कट्टरता फैलाने के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं और डार्क नेट, मेटावर्स और क्रिप्टोकरेंसी मंच जैसे उभरते डिजिटल माध्यमों का फायदा उठा रहे हैं. उन्होंने साथ ही साइबर अपराधों से निपटने के लिए वैश्विक सहयोग की जरूरत बताई. प्रधानमंत्री ने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा कि विश्व बैंक का अनुमान है कि साइबर हमलों से 2019-2023 के दौरान दुनिया को लगभग 5,200 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इनका असर वित्तीय पहलुओं से परे ऐसी गतिविधियों पर पड़ता है, जो बेहद चिंताजनक हैं। इसके सामाजिक और भू-राजनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं. उन्होंने कहा, साइबर आतंकवाद, ऑनलाइन कट्टरपंथ, धनशोधन से लेकर ड्रग्स और आतंकवाद तक धन पहुंचाने के लिए नेटवर्क मंचों का इस्तेमाल… ये असल चुनौती का एक छोटा हिस्सा है, जो दिखाई दे रहा है.

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आतंकवादी अपने गतिविधि के लिए कर रहे क्रिप्टोकरेंसी जैसे मंच का प्रयोग

पीएम मोदी ने कहा कि साइबरस्पेस ने अवैध वित्तीय गतिविधियों और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बिल्कुल नया आयाम जोड़ा है. उन्होंने कहा, आतंकवादी संगठन कट्टरपंथ के लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहे हैं, धनशोधन और ड्रग्स से मिले धन को आतंकी वित्तपोषण की ओर मोड़ रहे हैं. अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए डार्क नेट, मेटावर्स और क्रिप्टोकरेंसी मंच जैसे उभरते डिजिटल तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा, साइबर खतरों को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत

प्रधानमंत्री ने साइबर खतरों को बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि वित्तीय नुकसान इसके प्रतिकूल प्रभाव का सिर्फ एक पहलू है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा साइबर हमलों का राष्ट्रों के सामाजिक ताने-बाने पर भी असर पड़ सकता है. मोदी ने कहा कि ‘डीप फेक’ के प्रसार से अराजकता पैदा हो सकती है और समाचार स्रोतों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंच सकता है. उन्होंने कहा कि फर्जी खबरें और ‘डीप फेक’ का इस्तेमाल सामाजिक शांति को को भंग करने के लिए किया जा सकता है. उन्होंने आगे कहा, ऐसे में यह हर समूह, हर राष्ट्र और हर परिवार के लिए चिंता का विषय है. इसीलिए हमने इसे प्राथमिकता के रूप में लिया है.

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