नयी दिल्ली : कोरोना वायरस की मार अब पेट्रोल-डीजल की खपत पर भी पड़ना शुरू हो गया है. विश्वभर में लगे सार्वजनिक परिवहनों पर प्रतिबंध इसका सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है.

एक रिपोर्ट की मानें तो पूरे विश्व भर में डीजल की खपत में 20 प्रतिशत की कमी आयी है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ट्रांसपोर्टेशन क्षेत्र में 50 प्रतिशत की बुकिंग कम हुई है, जिसके कारण डीजल की खपत कम हुई है.

क्रूड ऑयल की कीमतों में भी सबसे बड़ी गिरावट- 17 जून 1991 को पहला खाड़ी युद्ध शुरू होने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में यह सबसे बड़ी गिरावट है. इस गिरावट के साथ ब्रेंट क्रूड फ्यूचर 12 फरवरी 2016 के निचले स्तर पर पहुंच गया है.

यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) क्रूड 11.28 डॉलर या 27.4 फीसदी गिरकर 23 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है. डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमतों में भी पहले खाड़ी युद्ध के बाद सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है और यह 22 फरवरी 2016 के निचले स्तर पर पहुंच गया है. इस समय ब्रेंट क्रूड फ्यूचर 23 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई क्रूड 32.61 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है.

ऑटोमोबाइल सेक्टर पस्त– देश का ऑटोमोबाइल सेक्‍टर कच्‍चे माल की कमी होने के कारण बिक्री में 10 फीसदी गिरावट का अनुमान लगा रहा है. हालांकि, इलेक्‍ट्रॉनिक व्‍हीकल सेगमेंट पर कोरोना वायरस का अधिक असर पड़ सकता है.

आयातित सेल और अन्‍य इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स कंपोनेंट पर इसकी निर्भरता काफी ज्‍यादा है. इंडस्‍ट्री के एग्‍जीक्‍यूटिव और विश्‍लेषकों ने ईटी को बताया है कि टाटा मोटर्स, बजाज ऑटो, टीवीसी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एथर एनर्जी और हीरो इलेक्ट्रिक नुकसान से बचने के लिए विकल्‍पों पर विचार कर रही है.

जूलरी उद्योग पर असर– कोरोना का कहर जूलरी उद्योग पर भी पड़ा है. कोरोना वायरस से इस सेक्टर को करीब सवा अरब डॉलर का नुकसान होने की आशंका है. भारत के तराशे और पॉलिश किए हुए हीरों के निर्यात के सबसे बड़े केंद्र चीन और हॉन्ग कॉन्ग हैं और इन दोनों ही जगहों पर वायरस का बहुत बुरा असर पड़ा है.

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