नयी दिल्ली : केंद्रीय कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (डीआईसीजीसी) संशोधन बिल को बुधवार को मंजूरी दे दी. साथ ही लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (एलएलपी) बिल में पहली बार संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. इससे कॉर्पोरेट निकायों को व्यापार करने में आसानी होगी.

केंद्रीय कैबिनेट के फैसलों को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को प्रेस वार्ता की. उन्होंने कहा कि बैंक ग्राहकों के हितों के मद्देनजर डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट संशोधन बिल को मंजूरी दे दी गयी है. आरबीआई द्वारा बैकों पर मोरेटोरियम लगाने के बाद ग्राहकों को बड़ी राहत मिलेगी. बैंक के डूबने की स्थिति में ग्राहकों को अब 90 दिनों के अंदर अधिकतम पांच लाख रुपये मिल सकेंगे.

साथ ही उन्होंने बताया कि नये नियम के मुताबिक, सभी बैंकों में पांच लाख रुपये तक की सभी प्रकार की जमा राशियों को कवर किया जायेगा. डीआईसीजीसी अधिनियम के तहत सभी जमा खातों का 98.3 फीसदी और जमा मूल्य का 50.98 फीसदी कवर किया जायेगा.

इसके अलावा, हर बैंक में वास्तव में जमा राशि के 100 रुपये के लिए 10 पैसे का प्रीमियम होता था. इसे बढ़ा कर अब 12 पैसे किया जा रहा है. यह किसी भी समय प्रति 100 रुपये में 15 पैसे से अधिक नहीं होना चाहिए. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सीमा के मामले में एक सक्षम प्रावधान हो.

वित्त मंत्री ने कहा कि लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप बिल में पहली बार संशोधन का प्रस्ताव किया गया है. हम कंपनी अधिनियम में बहुत सारे बदलाव कर रहे हैं. इससे कॉर्पोरेट निकायों को व्यापार करने में बहुत आसानी हो रही है. स्टार्टअप्स लोकप्रिय हो रहे हैं.

उन्होंने कहा कि छोटे एलएलपी के दायरे का विस्तार किया जा रहा है. 25 लाख रुपये से कम या उसके बराबर योगदान वाले एलएलपी और 40 लाख रुपये से कम टर्नओवर वाले एलएलपी को छोटे एलएलपी के रूप में माना जाता है. अब, 25 लाख रुपये पांच करोड़ रुपये से अधिक हो जायेंगे और कारोबार का आकार 50 करोड़ रुपये माना जायेगा.

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