टाटा-डोकोमो मामला : पंच-अदालत के फैसले को फिर से देखना चाहता है रिजर्व बैंक

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ने दिल्ली हाईकोर्ट से मंगलवार को कहा कि वह टाटा संस के समझौते के कथित उल्लंघन को लेकर जापान की दूरसंचार कंपनी एनटीटी डोकोमो को 1.17 अरब डॉलर के भुगतान के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत के निर्णय पर एक नजर और डालना चाहता है. हालांकि, न्यायाधीश एस मुरलीधर ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 14, 2017 8:07 PM

नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक ने दिल्ली हाईकोर्ट से मंगलवार को कहा कि वह टाटा संस के समझौते के कथित उल्लंघन को लेकर जापान की दूरसंचार कंपनी एनटीटी डोकोमो को 1.17 अरब डॉलर के भुगतान के पक्ष में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत के निर्णय पर एक नजर और डालना चाहता है. हालांकि, न्यायाधीश एस मुरलीधर ने रिजर्व बैंक के रुख असहमति जाहिर करते हुए कहा कि इसे फिर से देखने का कोई मतलब नहीं है.

न्यायाधीश ने कहा कि रिजर्व बैंक पहले ही दो बार इस पर दो बार गौर कर चुका है. यह बेहतर होगा कि वह अदालत को बताये कि क्या कोई सांविधिक प्रावधान या नियमन है, जो फैसले के तहत विदेश में धन हस्तांतरण पर रोक लगाता है. अदालत ने यह भी कहा कि प्रत्येक निजी फैसले में रिजर्व बैंक कदम नहीं उठा सकता और केंद्रीय बैंक को उस नियम, नियमन या परिपत्र दिखाने के लिये कल तक का समय दिया जो निर्णय के क्रियान्वयन के रास्ते में आता हो.

रिजर्व बैंक की तरफ से मामले में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सोली सोराबजी ने अदालत से कहा कि बैंक अगर डोकोमो के पक्ष में दिये गये निर्णय को फिर से देख सकता है, तो वह मामले में हस्तक्षेप के अपने आवेदन पर जोर नहीं देगा. इस दलील का डोकोमो और टाटा संस की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और डी खंबाता ने विरोध किया. दोनों कंपनियों के वकीलों ने कहा कि रिजर्व बैंक अनंतकाल तक मामले को फिर से देखने की बात नहीं कह सकता. अदालत ने इस पर सहमति जतायी और कहा कि रिजर्व बैंक एक ही मुद्दे पर बार-बार एक ही चीज नहीं कह सकता.

रिजर्व बैंक ने लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन (एलसीआईए) द्वारा जून, 2016 में जापान की दूरसंचार कंपनी के पक्ष में दिये गये निर्णय को लागू करने की शर्तों के संदर्भ में टाटा संस और डोकोमो के बीच हुई सहमति का विरोध किया है. केंद्रीय बैंक ने यह भी दलील दी कि दोनों कंपनियों के बीच शेयरहोल्डिंग समझौते के तहत कोष को विदेश हस्तांतरित करने की मंजूरी अवैध थी, क्योंकि यह विदेशी विनिमय प्रबंधन कानून (फेमा) का उल्लंघन करता है.

इन शर्तों के तहत टाटा और डोकोमो ने दो साल पुराने दूरसंचार संयुक्त उद्यम टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) के संदर्भ में अपने दो साल पुराने विवाद के निपटान का फैसला किया है. इसके लिए भारतीय कंपनी ने निर्णय को लागू करने पर अपनी आपत्ति वापस लेने का फैसला किया. टाटा पहले ही दिल्ली हाई कोर्ट में 1.17 अरब डॉलर जमा कर चुकी है.

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