नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को टैक्सी मंगवाने की एप आधारित सुविधाएं प्रदान करने वाली कंपनी उबर के खिलाफ अपहरक किराया नीति अपनाने के मेरु कैब्स के आरोपों पर प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच में यथास्थिति बनाये रखने का आदेश दिया. अपहरक मूल्य नीति में प्रतिस्पर्धियों को बाजार से बाहर करने की रणनीति के तहत प्रारंभ में वस्तु या सेवा की दरें काफी कम रखी जाती हैं. न्यायमूर्ति दीपम मिश्रा और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड की पीठ ने उबर की याचिका पर प्रतिस्पर्धा आयोग और मेरु कैब्स से इस मामले में जवाब तलब किया है. इसमें अब 17 फरवरी को सुनवाई होगी.
उबर ने मेरु कैब्ज द्वारा उसके खिलाफ लगाये गये आरोपों की जांच के अपीली न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी है. न्यायाधिकरण ने पिछले साल भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के महानिदेशक को उबर पर बाजार में अपहरक मूल्य नीति अपनाने के मेरु कैब के आरोपों की जांच करने का आदेश दिया था.
वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान दलील दी कि अपीली न्यायाधिकरण ने इस मामले में पहली नजर में कोई राय नहीं बनायी, लेकिन इसके बावजूद जांच का आदेश दिया गया है. प्रतिस्पर्धा अपीली न्यायाधिकरण ने पिछले साल सात दिसंबर को उबर के खिलाफ बाजार में अपने प्रभुत्व का कथित रूप से दुरुपयोग किये जाने के आरोपों की नये सिरे से जांच का आदेश दिया था.
इससे पहले, मेरु ट्रैवेल्स सॉल्यूशंस ने प्रतिस्पर्धा आयोग के पहले के निर्णय के खिलाफ न्यायाधिकरण में याचिका दायर की थी. आयोग ने अपने पहले के आदेश में उबर द्वारा अनुचित व्यवहार के आरोपों की जांच कराने के खिलाफ निर्णय दिया था.
न्यायाधिकरण ने आयोग की जांच इकाई के महानिदेशक को मेरु के आरोपों की नये सिरे से जांच का आदेश दिया था. उबर जैसी एप आधारित टेक्सी मंगाने की सेवा देने वाली कंपनियों और मेरु जैसी रेडियो टैक्सी सेवा प्रदाता के बीच देश भर में कडी प्रतिस्पर्धा हो रही है. इससे पहले भी दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर तरह तरह के आरोप लगाये थे.
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