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नोट बंदी से ग्रे मार्केट और साहूकारों की बढ़ी मुश्किलें, ब्‍याज 30% से घटकर 5% से भी कम

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नयी दिल्‍ली : नॉन बैंकिंग कंपनियां और साहूकार लोगों को नोट बंदी से काफी चपत लगी है. साहूकारों के पास मौजूदा कैश भी उनकी परेशानी का सबब बना हुआ है. साथ ही नये ग्राहकों को उधारी देने में भी परेशानी हो रही है. एक ओर जहां ये लोग 30 फीसदी तक ब्‍याज वसूलते थे, वहीं […]

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नयी दिल्‍ली : नॉन बैंकिंग कंपनियां और साहूकार लोगों को नोट बंदी से काफी चपत लगी है. साहूकारों के पास मौजूदा कैश भी उनकी परेशानी का सबब बना हुआ है. साथ ही नये ग्राहकों को उधारी देने में भी परेशानी हो रही है. एक ओर जहां ये लोग 30 फीसदी तक ब्‍याज वसूलते थे, वहीं अब इनके लिए पांच फीसदी ब्‍याज भी वसूलना मुश्किल हो रहा है. ग्रे मार्केट में उधार रकम देने या रीयल एस्टेट में इनवेस्ट करने वाले इनवेस्टर्स को दोहरा झटका लगा है.

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सरकार के 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बंद करने के बाद ग्रे मार्केट में उधार देने पर इंटरेस्ट बहुत कम हो गया है और रीयल एस्टेट में इनवेस्टमेंट पर डिस्काउंट देकर भी बाहर निकलना मुश्किल है. इस तरह की उधारी देने में शामिल एक व्‍यक्ति का कहना है कि इसके लिए उधार के साइज और टेन्योर के आधार पर 18 से 30 पर्सेंट तक का सूद वसूला जाता था. इनमें से ज्यादातर लोन नकद दिये जाते हैं और इनके लिए कोई लिखित एग्रीमेंट नहीं होता और साख पर ही उधार दिया जाता है.

उधार देने वाले का कहना है कि जिन लोगों ने उधार लिया था वे अब बड़े करेंसी नोटों में उसे चुकाने की पेशकश कर रहे हैं और हम पहले ही इन नोटों की वजह से फंसे हुए हैं. इस वजह से कुछ मामलों में इंटरेस्ट रेट घटकर 5 पर्सेंट या उससे भी कम हो गया है.

ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो साहूकार और महाजन भी सूद पर पैसे नहीं लगा पा रहे हैं. उनको पास जो पहले के रखे पुराने नोट हैं वही नहीं बदल पा रहे हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक साहूकार ने बताया कि बाजार में करीब उसके करोड़ों रुपये हैं, जो 10 से 20 फीसदी ब्‍याज पर दिये गये हैं. आज के समय में कुछ लोग पुराने नोटों में इसे वापस करने की बात कर रहे हैं. साहूकार का कहना है कि अगर वह पुराने नोटों में उधारी वापस लेता है तो उसके लिए इसे बदलना मुश्किल हो जायेगा. साथ ही एकसाथ बड़ी रकम रखने का जोखिम भी नहीं उठा सकते हैं.

इनकम टैक्स की रेड के डर से लोगों अपने घरों में रखे मोटे रकम को कहीं दूसरी जगह ठिकाने लगा रहे हैं. बड़े व्‍यापारियों की मदद से कुछ साहूकारों और सूदखोरों ने अपने काफी पैसों को बैंकों में जमा कराने में कामयाबी हासिल की है. लेकिन उसके बदले उन्‍हें मोटी कमीशन चुकानी पड़ी है. सूद पर पैसे लगाने वाले और लेनदारों के बीच इस बात को लेकर काफी बहस भी हो रही है कि पुराने नोट वापस क्‍यों नहीं ली जा रही है.

आज भी नकदी की समस्‍या बरकरार

नकदी की समस्या से लोग अभी भी परेशान हैं और सुबह से ही एटीएम और बैंकों के बाहर कभी ना खत्म होने वाली कतारें लग गयी हैं. लोग अपनी रोजमर्रा कीजरूरतों के नकदी चाहते हैं और चलन से बाहर किये गये 500 और 1000 के नोटों के बदले मान्य नोट लेने के लिए कतारों में खड़े हैं. बैंकों के अधिकतर ग्राहक एटीएम के जल्द खाली हो जाने की वजह से परेशान नजर आए. इसके अलावा अभी हजारों एटीएम ने काम करना शुरू नहीं किया है. कुछ एटीएम में नकदी है लेकिन वे भी तकनीकी खामी के चलते लोगों की परेशानी का सबब बने हुए हैं.

कतारों का आलम यह है कि संसद भवन और वित्त मंत्रालय की इमारतों मेंलगीएटीएम में भी लंबी कतार लगी है और यहां भी लोगों को नकदी लेने में औसतन एक घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है. अभी एटीएम के द्वारा 500 और 2000 रुपये के नये नोटों को वितरित करने में कई और हफ्ते लग सकते हैं. मौजूदा समय में मुख्यत: 100 रुपये के नोट ही एटीएम से निकल रहे हैंरहे हैं. देशभर में लोग अपनी दिक्कतों की शिकायत कर रहे हैं क्योंकि उनकी रोजमर्रा कीजरूरतेंभी ठीक से पूरी नहीं हो पा रही हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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