नयी दिल्ली: उद्योगपति विजय माल्या के देश से बाहर जाने को लेकर आलोचना झेल रही सीबीआई ने उनके खिलाफ जारी निगरानी नोटिस (लुकआउट नोटिस) के रूख में बदलाव किया था. सीबीआई ने नोटिस जारी करने के एक माह के भीतर ही इसे देश से बाहर जाने के दौरान हिरासत में लेने से बदलकर सिर्फ उनकी यात्रा योजना के बारे में जानकारी देने तक सीमित कर दिया था. यह सूचना सीबीआई के लिए और शर्मनाक स्थिति पैदा करने वाली है.

जांच एजेंसी पर पहले ही माल्या के प्रति नरमी दिखाने का आरोप लग रहा है. माल्या के खिलाफ आईडीबीआई बैंक के 900 करोड़ रुपये के ऋण डिफाल्ट मामले में सीबीआई जांच चल रही है. सूत्रों ने बताया कि 16 अक्तूबर, 2015 को लुकआउट सर्कुलर जारी कर सीबीआई ने कहा था कि यदि माल्या देश छोडने का प्रयास करते हैं तो एक्जिट पॉइंट पर उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा.

2 मार्च से पहले चार बार विदेश यात्रा कर चुके थे माल्या

करीब एक महीने बाद ही नवंबर में एजेंसी ने संशोधित सर्कुलर में आव्रजन ब्यूरो से कहा कि वह उसे माल्या के विदेश जाने तथा यात्रा योजना की जानकारी उपलब्ध कराए. इस बीच सूत्रों ने बताया कि उद्योगपति विजय माल्या दो मार्च को विदेश जाने से पहले कम से कम चार बार विदेश यात्रा पर गए थे. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उनकी गतिविधियों की निगरानी के लिए 16 अक्तूबर को लुकआउट नोटिस जारी किया था. इस निगरानी नोटिस के बाद माल्या चार बार विदेश जा चुके हैं. सूत्रों ने बताया कि माल्या अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में विदेश गए और नवंबर में स्वदेश लौटे. इसके अलावा उन्होंने दिसंबर के पहले और आखिरी हफ्ते में दो बार विदेश यात्रा की. इसके अलावा वह जनवरी में भी विदेश गये. अब उनके दो मार्च को लंदन जाने की खबर है.

निगरानी नोटिस जिसने जारी किया है, यह उस प्राधिकरण पर निर्भर करता है कि जब तक वे आव्रजन ब्यूरो को संबंधित व्यक्ति को हिरासत में लेने या विमान पकड़ने से रोकने के लिए नहीं कहता, कोई कार्रवाई नहीं की जाती.सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने लुकआउट नोटिस में बदलाव किया। उसके बाद आव्रजन ब्यूरो ने माल्या को रोकने का प्रयास नहीं किया.
माल्या कर रहे थे जांच में सहयोग, इसलिए जब्त नहींकी पासपोर्ट
जितनी बार भी वह विदेश गए सीबीआई को उसकी जानकारी दी गई. यह पूछे जाने पर कि सीबीआई ने उनका पासपोर्ट जब्त करने या उनको विदेश जाने से रोकने के लिए क्यों नहीं कहा, एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि माल्या जांच में सहयोग कर रहे थे और सवालों का जवाब देने के लिए उपस्थित हो रहे थे. साथ ही वह एजेंसी को दस्तावेज भी उपलब्ध करा रहे थे. सीबीआई सूत्रों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के अनुसार किसी व्यक्ति का पासपोर्ट तभी जब्त किया जा सकता है जब उसके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया हो या फिर उस पर कोई मुकदमा लंबित हो.
ऐसे में जबकि वह सहयोग कर रहे थे, उन्होंने विदेश जाने से रोकने का सवाल नहीं उठतें सूत्रों ने कहा कि लुकआउट नोटिस जारी होने के बाद वह 9-12 दिसंबर, 2015 के दौरान तीन बार सवालों का जवाब देने के लिए पेश हुए. एक बार यहां और दो बार मुंबई में सूत्रोंने कहा कि एजेंसी उनकी आवाजाही पर निगाह रख रही थी, लेकिन उसने इसलिए किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया क्योंकि वह हर बार देश लौट आते थे.

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