सरकारी बैंकों की ‘सेहत अच्छी” रखने के लिए पूर्ण सहयोग का वादा
नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों के पूंजी पर्याप्तता अनुपात संबंधी नियमों में ढील दिये जाने का स्वागत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत दुरस्त रखने के लिए सभी कदम उठाएगी और संसाधन उपलब्ध कराएगी. उद्योग जगत के साथ बजट के बाद एक […]
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नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों के पूंजी पर्याप्तता अनुपात संबंधी नियमों में ढील दिये जाने का स्वागत करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत दुरस्त रखने के लिए सभी कदम उठाएगी और संसाधन उपलब्ध कराएगी. उद्योग जगत के साथ बजट के बाद एक परिचर्चा में जेटली ने कहा कि इस समय दबाव में है. सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अधिक पेशेवर बनाने और उनमें फिर से पूंजी डालने के कदम उठा रही है. उन्होंने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने कल एक काफी सकारात्मक कदम उठाया है जिससे बैंकों के पुनर्पूंजीकरण में और मदद मिलेगी.
रिजर्व बैंक ने बासेल तीन नियमों के अनुपालन के लिए बैंकों की मुख्य पूंजी की श्रेणी में क्या क्या गिना जा सकता है, उससे संबंधित नियमों में ढील दे दी है. रिजर्व बैंक ने संपत्ति के पुनर्मूल्यांकन से जुडे आरक्षित कोष और विदेशी मुद्रा सौदों को सामान्य शेयर पूंजी की श्रेणी में रखने की अनुमति दी है. इस कदम से सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 3,50,000 करोड रुपये की पूंजी मुक्त हो सकती है जिसका ऋण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
जेटली ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत को दुरस्त रखने के लिए जो भी संसाधन जरुरी होंगे हम उन्हें उपलब्ध कराएंगे. ‘बैंकों की सेहत सुधारने के बाद हम उनके संभावित एकीकरण और आगे के सुधारों पर ध्यान देंगे. मुझे वित्तीय अनुशासन कायम रखना है.’ वित्त मंत्री ने कहा कि ऐसे समय जबकि निजी क्षेत्र निवेश को लेकर संकीर्ण रुख अपना रहा है, सार्वजनिक निवेश हमेशा आगे रहता है.
उन्होंने जोर देकर कहा कि राजकोषीय अनुशासन अत्यंत महत्वपूर्ण है. यदि भारत यह अनुशासन कायम नहीं रखता है तो वह दुनिया की सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्था होने का दावा नहीं कर सकता. ‘ऐसे में इन परिस्थितियों में हमारे लिए वित्तीय अनुशासन कायम रखना बेहद जरुरी हो जाता है.’
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