अंबानी बंधुओं की दूरसंचार कंपनियों में स्पेक्ट्रम कारोबार, भागीदारी का समझौता

नयी दिल्ली: देश के दो प्रमुख उद्योगपतियों, अंबानी बंधुओं ने दूरसंचार स्पेक्ट्रम कारोबार व भागीदारी के समझौतों पर आज हस्ताक्षर किए जिससे रिलायंस जियो की प्रस्तावित 4जी सेवा में बेहतर इंडोर कवरेज तथा निर्बाध वायस सेवा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. ये समझौते रिलायंस जियो व रिलांयस कम्युनिकेशंस में किए गए हैं. दोनों कंपनियों की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 18, 2016 7:48 PM

नयी दिल्ली: देश के दो प्रमुख उद्योगपतियों, अंबानी बंधुओं ने दूरसंचार स्पेक्ट्रम कारोबार व भागीदारी के समझौतों पर आज हस्ताक्षर किए जिससे रिलायंस जियो की प्रस्तावित 4जी सेवा में बेहतर इंडोर कवरेज तथा निर्बाध वायस सेवा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. ये समझौते रिलायंस जियो व रिलांयस कम्युनिकेशंस में किए गए हैं. दोनों कंपनियों की ओर से जारी बयानों के अनुसार अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) उन नौ सेवा क्षेत्रों में 800 मेगाहर्ट्ज बैंड के सीडीएमए श्रेणी के स्पेक्ट्रम का रिलायंस जियो के साथ लेन देन करेगी जहां रिलायंस जियो के पास यह स्पेक्ट्रम नहीं है. वहीं 17 सर्किलों में दोनों कंपनियां आपस में स्पेक्ट्रम साझा करेंगी. ‘ रणनीतिक समझौते के तहत इन कंपनियों की पारस्परिक अंतर सर्किल रोमिंग :आईसीआर: समझौते करने की भी मंशा है.

रिलायंस जियो के साथ स्पेक्ट्रम के लेन देन से आरकॉम को लगभग 4500 करोड रपये मिल सकते हैं. कंपनी इसमें से अधिकांश राशि का इस्तेमाल 16 सर्किलों के लिए स्पेक्ट्रम उदारीकरण शुल्क :5384 करोड रुपये के भुगतान में करेगी। यह भुगतान दूरसंचार विभाग को 22 जनवरी तक किया जाना है. बाकी राशि रीयल इस्टेट आस्तियों के बिक्री सौदों से आएगी. रिलायंस जियो के पास उन सभी 22 सर्किलों में 2300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम है जिनका अधिग्रहण उसने 2010 में किया था। कंपनी ने 18 सर्किलों में 1800 मेगाहर्ट्ज तथा 10 सर्किलों में 800 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम जोडा है.
800 मेगाहर्ट्ज बैंड से इसे 4जी-एलटीई सेवाओं की शुरआत की अनुमति मिलेगी. उल्लेखनीय हे कि रिलायंस जियो व आरकाम में यह सौदा दूसरा स्पेक्ट्रम कारोबार समझौता है. इससे पहले आइडिया सेल्यूलर ने वीडियोकान से दो सर्किलों में स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए 3310 करोड रपये का सौदा किया था.आरकाम ने कहा है,‘ रिलांयस जियो व आरकाम के बीच स्पेक्ट्रम व्यवस्था से नेटवर्क सहक्रिया, नेटवर्क क्षमता बढोतरी को बल मिलेगा। दोनों कंपनियों को इससे परिचालन लागत व नेटवर्क में भावी निवेश में अच्छी खासी बचत की उम्मीद है.

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