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दहलन आयात के नुकसान की भरवाई के लिए 113.4 करोड़ रुपये देगी सरकार

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पांच-पांच हजार टन अरहर और उड़द दाल पांच सितंबर तक आ जायेगा भारत नयी दिल्ली : मंत्रिमंडल ने सरकारी कंपनियों – एमएमटीसी, पीइसी, एसटीसी और प्रमुख सहाकारिता संस्था नाफेड को वर्ष 2006 से वर्ष 2011 के बीच दाल-दलहनों के आयात के कारण होने वाले घाटे की भरपाई के लिए 113.40 करोड रुपये का भुगतान किये […]

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पांच-पांच हजार टन अरहर और उड़द दाल पांच सितंबर तक आ जायेगा भारत

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नयी दिल्ली : मंत्रिमंडल ने सरकारी कंपनियों – एमएमटीसी, पीइसी, एसटीसी और प्रमुख सहाकारिता संस्था नाफेड को वर्ष 2006 से वर्ष 2011 के बीच दाल-दलहनों के आयात के कारण होने वाले घाटे की भरपाई के लिए 113.40 करोड रुपये का भुगतान किये जाने के प्रस्ताव को आज मंजूरी दी. सरकार ने यह भी कहा कि 5,000-5,000 टन अरहर और उडद दाल के आयात की खेप पांच सितंबर तक देश में पहुंचेगी. इसके आयात की मंजूरी पहले ही दी गयी थी.ये फैसले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाले मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये.

एक बयान में कहा गया है, ‘मंत्रिमंडल ने नाफेड, पीइसी, एसटीसी और एमएमटीसी को वर्ष 2006-2011 के बीच दलहनों के आयात के कारण होने वाले घाटे के अलावा इस योजना के बंद होने के बाद छह महीनों तक दलहनों की बिक्री पर होने वाली हानि के लिए 113.40 करोड रुपये का भुगतान करने के खाद्य एवं उपभोक्ता मामला मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दी है.’ इसमें कहा गया है कि इससे इन सार्वजनिक उपक्रमों की आर्थिक दशा बेहतर होगी ताकि वे आवश्यक जिंसों की कीमतों को कम करने के लिए व्यापारिक गतिविधियों का सुचारु ढंग से संचालन कर सकेंगे.

केंद्र सरकार ने वर्ष 2006-11 के दौरान मांग और आपूर्ति के अंतर को पाटने के लिए दो योजनाओं को लागू किया था. केंद्र ने इन चार एजेंसियों से कहा था कि वे आयात करें और दलहनों की खुले बाजार में बिक्री करें जिसके लिए उनका 15 प्रतिशत हानि का भुगतान किया जायेगा. दूसरी स्कीम आयातित दलहनों को राशन की दुकानों के जरिये गरीब लोगों को 10 रुपये प्रति किलो की निर्धारित सब्सिडी पर वितरित करने की थी.

नये केंद्रीय योजना मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत सरकार ने दलहनों घरेलू आपूर्ति को बढाने और और इसकी खुदरा कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए दो वर्षो के अंतराल के बाद दलहनों का आयात शुरू किया है. दालों का भाव घरेलू बाजार में 150 रुपये प्रति किलो तक चढ गया है. एक बयान में सरकार ने कहा, ‘उपभोक्ताओं को खुदरा वितरण को सुनिश्चित करने के प्रयास के तहत एमएमटीसी के जरिये 5,000 टन तुअर दाल और 5,000 टन उडद दाल का आयात करने का फैसला किया गया.

सरकार ने कहा कि दलहनों की उपलब्धता को बढाने और आवश्यक जिंसों, विशेषकर दलहनों और प्याज की कीमतों पर अंकुश रखने के लिए उसने कई कदम उठाये हैं. राज्यों को दलहनों का स्टॉक रखने की सीमा तय करने को अधिकृत किया गया है, 10,000 टन तक काबुली चना, जैविक दलहनों और मसूर को छोडकर सभी दलहनों के निर्यात प्रतिबंधित किया गया है और दलहनों के आयात पर शून्य आयात शुल्क रखा गया है. विगत कुछ सप्ताह में दलहनों की कीमतों में निर्बाध बढत हुई है. भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए ज्यादातर निजी व्यापार के जरिये 40 लाख टन दलहनों का आयात करता है.

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