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मौद्रिक समीक्षा आज, नीतिगत दरों के मसले पर विशेषज्ञों में मतभेद

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नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक पर मौद्रिक नीति की मंगलवार को होनेवाली तीसरी मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है. हालांकि, इस मसले पर विशेषज्ञ बंटे हुए हैं. उनका कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है, जो कि रिजर्व बैंक को ऐसा करने से रोक सकती है. ज्यादातर […]

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नयी दिल्ली : रिजर्व बैंक पर मौद्रिक नीति की मंगलवार को होनेवाली तीसरी मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों में कटौती का दबाव बढ़ रहा है. हालांकि, इस मसले पर विशेषज्ञ बंटे हुए हैं. उनका कहना है कि खुदरा मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है, जो कि रिजर्व बैंक को ऐसा करने से रोक सकती है. ज्यादातर बैंकरों और विशेषज्ञों का मानना है कि चार अगस्त को केंद्रीय बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती की संभावना कम है, क्योंकि फिलहाल खुदरा मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर है और ऋण का उठाव कम है.

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दरों में कटौती की मांग कर रहा है उद्योग जगत : इधर, उद्योग जगत नीतिगत दरों में कटौती की लगातार मांग कर रहा है. थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति कम है और औद्योगिक वृद्धि में नरमी है. यहां तक कि सरकार भी चाहती है कि नीतिगत दर कम रहे, ताकि वृद्धि को प्रोत्साहन मिले. खुदरा मुद्रास्फीति जून में 5.4 प्रतिशत के आठ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गयी, जबकि इसी माह में थोकमूल्य आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 2.4 प्रतिशत नीचे रही. आरबीआइ नीतिगत दर पर फैसला करने के लिए मुख्य तौर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक को ध्यान में रखता है. अगली समीक्षा चार अगस्त को होनी है. कुछ बैंकों का मानना है कि मुख्य दरों में और कटौती की कुछ गुंजाइश है. पिछली नीतिगत समीक्षा में आरबीआइ ने दो जून को इस साल लगातार तीसरी बार 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी. इस कटौती के पीछे रिजर्व बैंक का मुख्य उद्देश्य देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ाना था.

मूडीज को 0.25 फीसदी कटौती की आस

मंगलवार को रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा बैठक में मंगलवार को नीतिगत दरों में कटौती को लेकर मूडीज एनेलिटिक्स को उम्मीद है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक समीक्षा बैठक में नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है. हालांकि, औसत बारिश और जिंस मूल्य में गिरावट के मद्देनजर मुद्रास्फीति कम रह सकती है. मूडीज ने कहा है कि पिछले साल प्रमुख खरीफ फसलों की बुवाई वाले रकबे में दहाई अंक की वृद्धि हुई है. हालांकि, मॉनसून सत्र अभी खत्म नहीं हुआ है. इसलिए हमारा मानना है कि आरबीआइ के पास नीतिगत दर में कटौती का मौका है, क्योंकि बेहतर खाद्य आपूर्ति से मुद्रास्फीति पर लगाम लगने की संभावन है.

असमंजस में बैंकर्स

नाउम्मीदी में अरुंधति

इसी बीच एसबीआइ की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि मैं कोई उम्मीद नहीं कर रही हूं कि आरबीआइ नीतिगत दरों में कटौती करेगा. उन्होंने कहा कि थोकमूल्य आधारित सूचकांक शून्य से नीचे है, लेकिन खुदरा मुद्रास्फीति में थोड़ी तेजी आयी है. हालांकि, ऐसा मुख्य तौर पर खाद्य मूल्यों में बढ़ोतरी के कारण हुआ. रिजर्व बैंक नीतिगत दर को अब खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों से जोड़ रहा है. ऐसे में मुङो लगता है कि नीतिगत दरों में कटौती मुश्किल है.

एचएसबीसी को आरबीआइ से उम्मीद

एचएसबसी इंडिया की भारतीय कारोबार की प्रमुख नैना लाल किदवई ने कहा कि हम 0.25 प्रतिशत और साल के अंत तक 0.5 प्रतिशत कटौती की उम्मीद कर रहे हैं. यदि कटौती होनी है, तो जल्दी क्यों नहीं? इससे उद्योग को फायदा होगा और वृद्धि प्रोत्साहित होगी. उन्होंने कहा कि हमारी चिंता सिर्फ आधार दर के बारे में नहीं है कि जो आरबीआइ तय करेगी, बल्कि बैंकिंग प्रणाली को ब्याज दर निवेश के लिए बेहद आकर्षक बनाना चाहिए.

ऊहापोह में एचडीएफसी

एचडीएफसी बैंक के उप प्रबंध निदेशक परेश सुक्थंकर ने कहा कि मंगलवार को रिजर्व बैंक क्या करेगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है. फिर भी ब्याज दर में गिरावट का रुझान है. मैं उम्मीद करता हूं कि आरबीआइ चालू वित्त वर्ष में 0.25-0.50 प्रतिशत की कटौती करेगा.

बीओबी को यथास्थिति बने रहने की उम्मीद

बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी रंजन धवन ने कहा कि यथास्थिति बरकरार रहेगी. मुङो नहीं लगता कि पिछली समीक्षा के मुकाबले वृहद्-आर्थिक स्थितियों में कोई खास बदलाव हुए हैं. आरबीआइ मॉनसून पर नजर रखे हुए है. ऐसा कोई संकेत नहीं मिल रहा है कि मॉनसून अच्छा है या खराब.

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