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नयी दिल्ली : भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कॉल ड्रॉप की बढती समस्या से निपटने के लिए नए सेवा गुणवत्ता मानक तय किए हैं. इन मानकों पर खरे नहीं उतरने वाले दूरसंचार ऑपरेटरों के खिलाफ कडी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
ट्राई के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने आज कहा कि नए मानदंडों की घोषणा एक माह के भीतर की जाएगी. खुल्लर ने यहां एसोचैम के एक कार्यक्रम के मौके पर अलग से कहा कि इस पर काम जारी है. हालांकि, उन्होंने इन नए मानकों के बारे में नहीं बताया. उनसे पूछा गया था कि क्या नियामक सेवाओं की गुणवत्ता के नियमों में बदलाव की तैयारी कर रही है. कॉल ड्रॉप या कॉल बीच में कटने की समस्या हाल के समय में तेजी से बढी है. कई सांसदों ने यह मुद्दा दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद के साथ भी उठाया है.
दूरसंचार सचिव राकेश गर्ग ने सोमवार को इस मुद्दे पर ऑपरेटरों को आडे हाथ लेते हुए उपभोक्ताओं की शिकायतों को जल्द दूर करने व नेटवर्क में सुधार को कहा.
ट्राई पहले ही सेवाओं की गुणवत्ता के कई मानकों को पारिभाषित कर चुका है. इनमें कॉल ड्रॉ, बिलिंग, शिकायत निपटान आदि से संबंधित मानक हैं. नियामक किसी आपरेटर के प्रदर्शन का आकलन 10 मानदंडों पर करता है. इनमें से किसी भी एक मानक के बारे में नियामक को गलत रिपोर्ट देने पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाता है.
पहली बार अनुपालन न किए जाने पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगता है और उसके बाद प्रत्येक गैर अनुपालन पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया जाता है. इस बीच, ट्राई के चेयरमैन ने नेट निरपेक्षता के मुद्दे पर किसी टिप्पणी से इनकार किया. उन्होंने कहा, इस पर विचार-विमर्श जारी है और उस समय तक मैं इस पर कुछ कह नहीं सकता.
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