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”ज्ञान संगम” में बोले जेटली, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को देंगे अधिक स्वायत्तता
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पुणे : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकिंग तंत्र में फंसे कर्ज के मौजूदा स्तर को अस्वीकार करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को व्यावसायिक सोच के साथ कारोबार चलाने के लिये उन्हें अधिक स्वायत्ता देने का वादा किया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ आज आयोजित बैठक में जेटली ने संवादाताओं से […]
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पुणे : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकिंग तंत्र में फंसे कर्ज के मौजूदा स्तर को अस्वीकार करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को व्यावसायिक सोच के साथ कारोबार चलाने के लिये उन्हें अधिक स्वायत्ता देने का वादा किया है.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ आज आयोजित बैठक में जेटली ने संवादाताओं से कहा ‘कुछ मामलों में एनपीए का स्तर अस्वीकार्य स्तर पर है ऐसे में बैंकों को काफी छूट देनी होगी. ताकि वह व्यावसायिक मुद्दों से व्यावसायिक मानसिकता के साथ निपट सकें.’
वित्त मंत्री ने कहा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को कुशल और प्रतिभाशाली लोगों को काम पर रखने के साथ ही ‘कहीं अधिक स्वायत्तता’ दिये जाने सहित कई क्षेत्रों में बदलाव की जरुरत है. बैंकिंग क्षेत्र का यह दो दिवसीय सम्मेलन कल से शुरू हुआ है. यह सम्मेलन ऐसे समय हो रहा है जब भारत आर्थिक वृद्धि को आगे बढाने की दिशा में आगे बढ रहा है.
सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के 27 बैंकों में बहुमत हिस्सेदारी है. देश के बैंकिंग तंत्र में इन बैंकों का 70 प्रतिशत हिस्सा है. सरकार क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं को जानना समझना चाहती है. इस बारे में वह बैंकों और विदेशी विशेषज्ञों से जानकारी ले रही है क्योंकि उसका मानना है कि समस्या के बारे में वे ही बेहतर बता सकते हैं.
जेटली ने यहां आयोजित दो दिन के सम्मेलन ‘ज्ञान संगम’ में कहा ‘मुझे पूरा विश्वास है कि यह सम्मेलन नयी दिशा दिखाने में सफल रहेगा. बैंकरों के साथ ‘ज्ञान संगम’ का आयोजन ऐसे समय हो रहा है जब बैंकिंग तंत्र में उनकी सकल गैर-निष्पादित राशि यानी एनपीए सितंबर 2014 तक 4.5 प्रतिशत पर पहुंच गया है.
रिजर्व बैंक ने भी संपत्ति गुणवत्ता (एनपीए) प्रबंधन के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की यह कहते हुये खिंचाई की है कि वह इस मामले में निजी क्षेत्र के बैंकों से पिछड़ गये हैं.
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बैंकों को उच्च वृद्धि लक्ष्य हासिल करने में समर्थन देना चाहिये और इसके लिये ढांचागत परियोजनाओं और विनिर्माण क्षेत्र के वित्तपोषण को समर्थन देना चाहिये.
उन्होंने कहा ‘देश के बैंकिंग क्षेत्र को बड़े पैमाने पर ढांचागत परियोजनाओं और विनिर्माण क्षेत्र को वित्तीय समर्थन देने की आवश्यकता है. इसके साथ ही बैकिंग क्षेत्र में कई सुधारों को आगे बढाने की भी आवश्यकता है.’
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