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रघुराम राजन ने की ”मेक इन इंडिया” की आलोचना, अरूण जेटली ने किया खारिज
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नयी दिल्ली : आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन की ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की आलोचना को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि यह कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों के विमिर्नाण से जुड़ा है और यह प्रासंगिक नहीं है कि इसे भारत में बेचा जाता है या विदेश में. जेटली […]
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नयी दिल्ली : आरबीआइ गवर्नर रघुराम राजन की ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम की आलोचना को खारिज करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि यह कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पादों के विमिर्नाण से जुड़ा है और यह प्रासंगिक नहीं है कि इसे भारत में बेचा जाता है या विदेश में.
जेटली ने यहां कहा मेक इन इंडिया के तहत उत्पाद भारतीय उपभोक्ताओं के लिए बनाए जाते हैं या बाहर के उपभोक्ताओं के लिए, यह प्रासंगिक नहीं हैं. आज का सिद्धांत यह है कि विश्व भर के उपभोक्ता ऐसे उत्पाद पसंद करते हैं जो सस्ते और अच्छी गुणवत्ता वाले हों. इससे पहले इसी महीने राजन ने नई सरकार के मेक इन इंडिया अभियान के बारे में आगाह करते हुए कहा था कि यह चीन के निर्यात केंद्रित वृद्धि मार्ग का अनुसरण है जबकि इसे मेक फॉर इंडिया (भारत के लिए बनाएं) होना चाहिए जो घरेलू बाजार के लिए उत्पाद विनिर्माण पर केंद्रित हो.
उन्होंने कहा विनिर्माण क्षेत्र में प्रवेश प्रक्रिया आसान बनानी होगी. अपनी आरंभिक बाधाएं कम करनी होगी और शायद खत्म भी करनी होंगी. यदि हम दरवाजे बंद रखते हें तो निवेश नहीं आएगा. जेटली ने कहा कि कराधान प्रणाली को शेष विश्व के अनुरुप बनाना चाहिए क्योंकि जब लोग उत्पाद खरीदते हैं तो वे उन्हें कर के साथ खरीदना पसंद नहीं करते.
उन्होंने कहा कि जब तक हम परिवर्तनकारी कदम नहीं उठाते, विनिर्माण चुनौती बना रहेगा. जेटली ने कहा कि हालिया दौर में विनिर्माण में नरमी की एकमात्र वजह रही है पूंजी की ऊंची लागत.
कारोबार आसान बनाने के संबंध में वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ सालों में ऐसा क्या हुआ जिससे भारत में कारोबार करना जटिल हुआ. क्या कराधान प्रणाली ने निवेशकों को भयभीत किया? क्या इसके कारण ऐसे संयंत्र बंद नहीं हुए जिनकी तुलना वैश्विक संयंत्रों से की जा सकती थी. सख्त भूमि अधिग्रहण कानून का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह कानून अपने-आप में निवेशकों के लिए जटिलताएं बढाएगा.
जेटली ने कहा, खतरा तब है जब हम लागत के मामले में मात खाते हैं. यदि हम गुणवत्ता में पिछडते हैं तो ऐसी स्थिति में होंगे कि हम विनिर्माता देश होने के बजाय व्यापारी देश होंगे. उन्होंने कहा कि बाजार में नकदी सुनिश्चित करने की जरुरत है. वित्त मंत्री ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने की जरुरत है कि नकदी संकट से जूझ रहे क्षेत्रों को पूंजी उपलब्ध हो. हम उन उद्योगों को पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराने की स्थिति में हैं. जेटली ने कहा कि बैंकरों के इस सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ होने वाली बैठक और मेक इन इंडिया की सफलता से विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा.
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