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वेब पोर्टल्स पर आसानी से लें कर्ज, न ज्यादा कागजी कार्यवाही, न अधिक ब्याज

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जिंदगी की हर जरूरत के लिए जरूरी है पैसा, लेकिन अगर कोई जरूरत पूरी करने के लिए पैसे कम पड़ जायें, तो अच्छे-अच्छे लोग परेशान हो जाते हैं. कर्ज लेने के लिए बैंक का रुख करें, तो बैंक के महंगे ब्याज दर और लंबी प्रक्रियाएं मुंह चिढ़ाती नजर आती हैं. ऐसे में हर मर्ज की […]

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जिंदगी की हर जरूरत के लिए जरूरी है पैसा, लेकिन अगर कोई जरूरत पूरी करने के लिए पैसे कम पड़ जायें, तो अच्छे-अच्छे लोग परेशान हो जाते हैं. कर्ज लेने के लिए बैंक का रुख करें, तो बैंक के महंगे ब्याज दर और लंबी प्रक्रियाएं मुंह चिढ़ाती नजर आती हैं. ऐसे में हर मर्ज की दवा बन चुका इंटरनेट एक बार फिर हाजिर है आपकी मदद को. फेयरसेंट, आइ-लेंड जैसे पोर्टल्स कर्ज लेने और देने के सुविधाजनक मंच बन रहे हैं. आइए जानें कैसे.
कर्ज की जरूरत हर किसी को पड़ती है. अगर बात मध्यवर्ग की करें तो यहां कर्ज की बड़ी महत्ता है. शायद इसी वर्ग को ध्यान में रख कर देसी से लेकर विदेशी बैंकों ने इस कर्ज का विविध रूपों में वर्गीकरण कर दिया है. होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन, पर्सनल लोन और भी न जाने क्या-क्या! लेकिन जितनी आसानी से इसका वर्गीकरण किया गया है, उतना ही मुश्किल इसे पाना है. दिन पर दिन बढ़ते ब्याज दर, लंबी कागजी कार्यवाही और तरह-तरह की पेनाल्टी और चाज्रेज.
यहां तक कि आप लिये गये कर्ज की रकम को अगर समय से पहले चुका दें तो उस पर भी कई जगह आपसे ‘प्री-पेमेंट पेनाल्टी’ के नाम पर पैसे वसूले जाते हैं. महंगी ब्याज दरें अलग से. एक तरह से गौर करें तो रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के तहत बैंकों द्वारा अपनायी गयी अधिकांश प्रक्रियाएं बैंक, ग्राहक और देश के हित के लिए जरूरी भी हैं, लेकिन अगर आपको सस्ते ब्याज दर पर पैसों की तुरंत आवश्यकता है तो इस मकसद से तैयार किये गये कई वेब-पोर्टल्स आपकी मदद को तैयार हैं. यही नहीं, यहां कर्ज देनेवालों की भी जरूरतें पूरी होती हैं.
बस, पोर्टल पर जाते ही आपको ऐसा लगने लगेगा कि अब आपकी जरूरतें पूरी होने ही वाली हैं. आपके अपने शहर में पैसे लेने और देने के इच्छुक बीसियों लोगों के प्रोफाइल्स और कॉन्टैक्ट्स आपको दिखने लगेंगे. इन पोर्टल्स पर पैसे देने या फिर लेने वाले व्यक्ति का नाम, पता, संपर्क सहित इस बात का भी ब्यौरा होता है कि वह कितने प्रतिशत ब्याज के साथ कितनी रकम उधार लेना या देना चाहता है. ऐसे पोर्टल्स की सेवाएं लोगों के बीच इसलिए हिट हो रहीं हैं क्योंकि ये कर्ज के सबसे बड़े मजर्, ब्याज का इलाज करते हैं.
वह ब्याज जो कर्ज लेने वाले को ज्यादा लगता है और देने वाले को कम. देश भर में इन दिनों प्रचलित हो चुके आइ-लेंड, माइक्रोग्राम, रंग दे, फेयरसेंट और मिलाप जैसे इन पोर्टल्स पर कर्ज लेने वाले सबसे कम ब्याज दर पर कर्ज ले सकते हैं और देने वाले अपने निवेश पर सर्वोत्तम रिटर्न पा सकते हैं. इन पोर्टल्स के काम का तरीका बिलकुल सीधा-सा है.
जब कोई यूजर कर्ज लेने के लिए ऐसे पोर्टल का रुख करता है, तो दी गयी सूची में से उसे अपनी पसंद की ब्याज दर के साथ कर्ज देनेवाले को चुनना होता है. दोनों पक्षों ने जब पैसे के लेन-देन के बारे में बातें और शर्ते तय कर ली तो फिर पोर्टल के एजेंट कर्ज लेने वाले व्यक्ति के नाम, पते, फोन नंबर, बैंक खाते और उसकी बैंकिंग हिस्ट्री की वेरिफिकेशन करते हैं. शुल्क के रूप में ये पोर्टल्स कर्ज की रकम का एक से डेढ़ प्रतिशत लेते हैं. एक तरह से कहें तो ये पोर्टल्स बैंक की मध्यस्थता के बिना काम करते हैं. लेकिन कर्ज लेने वाले की जांच-पड़ताल और पैसा वापस पाने के लिए बैंकों द्वारा अपनायी जाने वाली मौजूदा प्रक्रिया का ही इस्तेमाल होता है, लेकिन उतनी कड़ाई से नहीं, जिससे कर्ज लेने को इच्छुक हर व्यक्ति बचना चाहता है.
देश भर में तेजी से पहचान बना रहे इस पियर टू पियर मॉडल की कुछ सीमाएं भी हैं. इस बारे में आइसीआइसीआइ डायरेक्ट (रिसर्च) के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट काजल गांधी का कहना है कि कर्ज लेने और देने के पारंपरिक मंचों से ज्यादा लोकप्रियता पाने में पी2पी (पियर टू पियर) मॉडल की राह में कानूनी बाध्यताओं और कर्ज की रकम की वसूली न हो पाने जैसे कई रोड़े हैं. ऐसी सूरत में यह मॉडल कितना सफल होगा, यह तो आनेवाला समय ही बतायेगा.

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