वाशिंगटन : वैश्विक आर्थिक नरमी के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भारत समेत विश्व की अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को आपसी समन्वय के साथ नीतिगत कदम उठाने को तैयार रहने का सुझाव दिया है. आईएमएफ के वित्त विभाग के निदेशक विटोर गैस्पर ने बुधवार को कहा कि यदि आर्थिक नरमी की आशंकाएं यदि सही साबित होने लगें, तो बड़े देशों को नीतिगत समन्वय से चलने को तैयार रहना चाहिए.

गौरतलब है कि आईएमएफ ने एक ही दिन पहले ही 2019 के लिए वैश्विक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर तीन फीसदी कर दिया है. ऐसा हुआ, तो यह 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद की सबसे धीमी वृद्धि होगी. गैस्पर ने एक साक्षात्कार में कहा कि यह समय है कि बड़ी अर्थव्यवस्थाएं इस बात के लिए तैयार रहें, यदि वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर में की गयी कटौती वास्तविक साबित हुई, तो ऐसी स्थिति में समन्वय के साथ नीतिगत कदम उठा सकें.

उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुस्ती गंभीर हो गयी, तो हमें इसका सामना करने और इसका हल निकालने के लिए साथ मिलकर काम करने को तैयार रहना चाहिए. उन्होंने एक सवाल का उत्तर देते हुए कहा कि सफल अंतरराष्ट्रीय तालमेल का तात्पर्य 2008 में जी-20 द्वारा साथ मिलकर काम करने के उदाहरण से है. उन्होंने कहा कि भारत भी उस प्रक्रिया का हिस्सा रहा है. भारत को आज भी उसी तरह की प्रक्रिया का हिस्सा बनना चाहिए.

गैस्पर ने कहा कि मैं पिछली पीढ़ी में भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन से प्रभावित हूं. भारत में वृद्धि दर तेज रही है. भारत को अतीत में हासिल तेज वृद्धि दर को बनाये रखने के लिए सुधार और बदलाव की प्रक्रिया जारी रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कई सारे विकसित देशों में ब्याज की दरें काफी कम हैं. ये दरें या तो शून्य हैं या शून्य से नीचे हैं. ऐसे देशों में मुद्रास्फीति लक्ष्य से कम है. इसलिए हमारा सुझाव रहेगा कि जो अर्थव्यवस्थाएं निम्न ब्याज दर का लाभ उठाने की स्थिति में हैं और उनके पास राजकोषीय कदम उठाने की सुविधा है, तो उन्हें निवेश में इसका इस्तेमाल करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि यह निवेश बुनियादी संरचना में या लोगों में किया जाना चाहिए, ताकि वे एक साथ कुल मांग में विस्तार तथा अर्थव्यवस्था की संभावनाओं को मध्यम अवधि से दीर्घ अवधि बनाने में योगदान दे सकें. गैस्पर ने कहा कि विश्व के अधिकांश देशों में शून्य या शून्य से नीचे वाली नीतिगत ब्याज दर व्यवस्था नहीं है. उन्होंने कहा कि सभी देशों को मध्यम से दीर्घ अवधि की रूपरेखा को ध्यान में रखते हुए राजकोषीय नीति अपनानी चाहिए.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.