श्रम कानूनों के संशोधन की तैयारी में मोदी सरकार
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार श्रम कानून को लेकर ज्यादा सजग है. नरेन्द्र मोदी सरकार ने नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से तीन श्रम कानूनों में संशोधन के प्रस्तावों को मंजूरी दी है जिन्हें संसद के चालू बजट सत्र में पेश करने की योजना है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फैक्टरी […]
नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार श्रम कानून को लेकर ज्यादा सजग है. नरेन्द्र मोदी सरकार ने नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से तीन श्रम कानूनों में संशोधन के प्रस्तावों को मंजूरी दी है जिन्हें संसद के चालू बजट सत्र में पेश करने की योजना है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फैक्टरी कानून, एप्रेंटिस कानून और श्रम कानून (कुछ प्रतिष्ठानों को रिटर्न भरने और रजिस्टर रखने से छूट) कानून में संशोधन पर सहमति जताई है. संशोधन के जरिये इन कानूनों को श्रमिकों और नियोक्ताओं के लिए फायदेमंद और अनुकूल बनाया जायेगा.श्रम मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज कहा, मंत्रिमंडल ने (संशोधनों पर) अपनी मंजूरी दे दी है. संशोधन श्रमिकों के लिए लाभदायक होंगे. हमें उम्मीद है कि इसे संसद के मौजूदा सत्र में सदन के पटल पर रखा जायेगा. समझा जाता है कि फैक्टरी कानून 1948 में संशोधन के जरिये रात्रिकालीन पाली में काम करने वाली महिलाओं को समुचित सुरक्षा और काम के बाद घर जाने के लिए ट्रांसपोर्ट सुविधा का प्रावधान किया गया है.
कुछ मानदंडों में ढील भी दी गई है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिलायें रात्रि पाली में काम कर सकें.कानून में प्रस्तावित बदलावों में कर्मचारियों की सुरक्षा स्तर में सुधार, कुछ मामलों में ओवरटाइम का समय 50 घंटे से बढाकर 100 घंटे प्रति तिमाही करने का प्रावधान है. इसके अलावा सार्वजनिक हित तथा अन्य कार्यो के लिए यह समय 75 घंटे से बढाकर 125 घंटे करने का भी प्रावधान किया गया है.
एप्रेंटिस कानून में प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार नियोक्ताओं के लिए अब अनिवार्य होगा कि वे 50 प्रतिशत एप्रेंटिस को स्थायी कर्मचारी के रुप में रखें.कानून में एक और संशोधन प्रस्ताव के जरिये उद्योगों में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र सहित 500 नये कौशल और व्यवसाय जोडने का प्रावधान होगा.फैक्टरी कानून में प्रस्तावित संशोधन कहता है कि कर्मचारी अब रोजगार में 90 दिन पूरा करने के बाद वेतन के साथ छुट्टी ले सकते हैं. पहले यह सीमा 240 दिनों की थी.
श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री विष्णुदेव साई ने कहा था कि फैक्टरी कानून में प्रस्तावित संशोधन का ध्येय औद्योगिक क्षेत्र में मौजूदा परिदृश्य की जररतों के अनुरुप इसे ढालना था.हालांकि कर्मचारी संगठनों ने सरकार द्वारा अपनाये गये एकपक्षीय रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा है कि जो कुछ भी कथित संशोधन किये गये हैं उन्हें उनके बारे में जानकारी नहीं है और उन्हें पत्रों के माध्यम से ही इसकी जानकारी मिली है.उन्होंने कहा कि केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के जल्द ही विकास के नाम पर ‘‘इस जल्दबाजी वाले नियोक्ता अनुकूल संशोधनों’’ के खिलाफ कार्यवाही का फैसला करने के लिए बैठक की संभावना है.
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