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नयी दिल्ली : मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) केवी सुब्रमणियम ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक वृद्धि दर को मौजूदा 7 प्रतिशत से बढ़ाकर 8 प्रतिशत करने के लिए विदेशी पूंजी के उपयोग की जरूरत है.
उन्होंने पुस्तक ‘एचडीएफसी बैंक 2.0-फ्राम डॉन टू डिजिटल’ के विमोचन के मौके पर कहा, सरकारी बांड जारी करने के अलावा हमें निवेश के जरिये तेजी के चक्र (वर्चुअस साइकल) को गति देने के लिए विदेशी पूंजी के उपयोग की आवश्यकता है. एक बार तेजी का यह चक्र शुरू होने के साथ अर्थव्यवस्था के दूसरे हिस्सों में भी तेजी आयेगी. उन्होंने कहा कि 2024-25 तक 5,000 अरब डाॅलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करना संभव है. हालांकि यह थोड़ा मुश्किल जरूर है. उन्होंने कहा, जब हमें निवेश प्राप्त होता है, उससे उत्पादकता, निर्यात, रोजगार बढ़ता है और इन सबसे मांग बढ़ती है. पुन: इससे निवेश बढ़ता है. इसको गति देना जरूरी है. वास्तव में हम 7 प्रतिशत की दर से वृद्धि कर रहे हैं. 8 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने के लिए हमें इसे गति देने की जरूरत है. इसीलिए विदेशी पूंजी ऐसी है जिसे हमें प्रोत्साहित करने की जरूरत है.
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के बारे में सुब्रमणियम ने कहा कि तालमेल और सहयोग के आधार पर यह किया जा रहा है और इस नीति का मकसद बड़े आकार के बैंकों का लाभ हासिल करना है. उन्होंने कहा, ऊपर से यह रणनीति या अनिवार्यता के बजाय कि हमें चार बैंकों की ही जरूरत है, हम उन बैंकों पर गौर कर रहे हैं जिन्हें सहयोग और तालमेल से बेहतर तरीके से मिलाया जा सकता है. सरकार ने बड़े बैंक बनाने की पहल के तहत विजय बैंक और देना बैंक का बैंक आॅफ बड़ौदा में विलय किया. यह विलय एक अप्रैल से लागू हो गया जिससे देश का तीसरा बड़ा बैंक बनकर उभरा है.
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