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पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, सरकारी तेल-गैस कंपनियों के आपस में विलय का नहीं है प्रस्ताव

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नयी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि सरकारी तेल-गैस कंपनियों के विलय का कोई प्रस्ताव फिलहाल उनके मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन नहीं है. गौरतलब है कि ओएनजीसी ने पिछले साल हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड(एचपीसीएल) में सरकार की हिस्सेदारी खरीदी थी, जबकि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड […]

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नयी दिल्ली : पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि सरकारी तेल-गैस कंपनियों के विलय का कोई प्रस्ताव फिलहाल उनके मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन नहीं है. गौरतलब है कि ओएनजीसी ने पिछले साल हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड(एचपीसीएल) में सरकार की हिस्सेदारी खरीदी थी, जबकि इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी) और भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) ने गेल इंडिया लिमिटेड के अधिग्रहण में रुचि दिखायी थी.

इसे भी देखें : पेट्रोलियम कंपनियों को सरकार का निर्देश, कीमत नहीं बढ़ायें, खुद बोझ उठायें

प्रधान ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि फिलहाल, तेल और गैस क्षेत्र के सरकारी उपक्रमों के विलय का कोई प्रस्ताव मंत्रालय के समक्ष विचाराधीन नहीं है. प्रधान ने इससे पहले सात फरवरी, 2018 को राज्यसभा में कहा था कि आईओसी और बीपीसीएल ने पेट्रोलियम मंत्रालय को अलग-अलग संकेत दिया है कि वे गेल का अधिग्रहण करना चाहती हैं. इससे उनके कारोबार में तेल शोधन और विपणन के साथ साथ प्राकृतिक गैस का कारोबार भी जुड़ सकता है.

इससे पहले तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2017-18 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के तेल उपक्रमों के बीच विलय, अधिग्रहण और समेकीकरण के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को एक नया समन्वित रूप देने की सरकार की योजना प्रस्तुत की थी. इसके पीछे सोच यह थी कि एकीकृत बड़ी सरकारी कंपनियां देशी-विदेशी पेट्रोलियम कंपनियों का और अच्छी तरह मुकाबला कर सकती हैं और वे बड़े आकार के साथ अधिक बड़ा जोखिम लेने की स्थिति में होंगी.

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