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अलीगढ़: उत्तर प्रदेश का अलीगढ़ शहर खास्ते कचौड़ी के लिए प्रसिद्ध है. इसी शहर में एक दुकान है मुकेश कचौड़ी भंडार. यह दुकान आज देश भर में चर्चा में है. ऐसा इसलिए नहीं कि यहां की कचौड़ियां हैं स्वादिष्ट हैं बल्कि इसलिए क्योंकि यहां बीते दिनों जीएसटी विभाग ने छापेमारी की है. जी हां, आप सही सुन रहे हैं. कचौड़ी की दुकान में जीएसटी का छापा. आयकर विभाग के मुताबिक, मुकेश कचौड़ी भंडार की सालाना कमाई 70 लाख से भी अधिक है और उसका अभी तक कोई जीएसटी खाता नहीं बना है.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, विभाग के कर्मियों ने पूरी तस्दीक के बाद ही छापेमारी की है. बताया जा रहा है कि विभाग के अधिकारी लगातार तीन दिन तक दुकान पर कचौड़ी खाने पहुंचे और इसी बहाने दुकान की रेकी की. उनके मुताबिक, इस कचौड़ी दुकान में हमेशा भीड़ लगी रहती है. खड़े होने की भी जगह नहीं मिलती. इस पूरे मामले की जांच वाणिज्य कर विभाग कर रहा है. दरअसल कुछ दिन पहले किसी ने अलीगढ़ टैक्स विभाग में शिकायत की थी कि मुकेश कचौड़ी भंडार बहुत ज्यादा पैसा कमा रहा है. इसके बाद वाणिज्य कर विभाग की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम ने जांच शुरू की.
टीम ने पहले पड़ताल की फिर 20 जून को 12 अधिकारियों के साथ छापेमारी की. दुकान पर छापा उसके सालाना टर्नओवर की वजह से मारा गया. डिप्टी कमिश्नर आरपीएस कौटनी के मुताबिक उन्होंने करीब चार बजे के दुकान पर छापा मारा, लेकिन उस वक्त भी 45 के करीब लोग दुकान पर मौजूद थे. छापेमारी के वक्त दुकान पर इतनी भी जगह नहीं थी कि दुकान के मालिक माखन लाल खड़े हो सके. इस दौरान ये पता चला कि दुकान का न तो टैक्स भरा जा रहा है. और न कारोबार का जीएसटी रजिस्ट्रेशन है. दुकानदार की सालाना आमदनी 60 लाख रुपए से ज्यादा है.
Aligarh: An outlet 'Mukesh Kachori Bhandar' has come under the radar of Commercial Tax department for not paying tax & not getting registered under the GST (Goods and Service Tax) Act. pic.twitter.com/q8r6sUA2rV
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 25, 2019
मुकेश कचौड़ी भंडार के मालिक 70 वर्षीय माखन लाल हैं. जो अपने तीन बेटे मुकेश (40), भगवान दास(35) और बंटी(29) के साथ दुकान चलाते हैं. इस दुकान पर एक प्लेट कचौड़ी की कीमत 24 रुपये है जबकि रायता के लिए अलग से पांच रुपये देना पड़ता है. माखनलाल ने बताया कि उन्होंने आलू-कचौड़ी बेचना पांच साल पहले शुरू किया. कई बिजनेस में नुकसान कराने के बाद इस काम में फायदा हुआ. इन्होंने अपनी दुकान को फूड सेफ्टी और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में भी रजिस्टर करा रखा है.
कहा कि टैक्स वालों को गलत जानकारी मिली है. हम एक दिन में दो से तीन हजार रुपये से ज्यादा का कारोबार नहीं करते हैं. इसे साल के हिसाब से जोड़े तो ये 12 लाख से ऊपर नहीं बनता है. कमाई के हिसाब से भी हम जीएसटी के दायरे में नहीं आते हैं. हम बस इतना पैसा बनाते हैं जिससे 15 लोगों का परिवार चल जाता है. क्या वे आलू-कचौड़ी पर जीएसटी लगवाना चाहते हैं. अगर ऐसा होगा तो इसकी कीमत महंगी हो जाएगी और कोई इसे नहीं खरीदेगा.
माखन लाल ने बताया कि उन्होंने आलू-कचौड़ी बेचना 5 साल पहले शुरू किया. कई बिजनेस में नुकसान होने बाद इस काम में फायदा हुआ. इन्होंने अपनी दुकान को फूड सेफ्टी और ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन में भी रजिस्टर करा रखा है. उन्होंने दुकान के बारे में बताया कि हर दिन तीनों बेटे चार बजे के करीब दुकान पर पहुंचते हैं. 25 किलो आलू की सब्जी खुद के मसाले से तैयार करते हैं. 15 किलो आटे की कचौड़ी और फिर रायता बनाते हैं. दुकान पर दो हेल्पर आते हैं जो रोज का 300 रुपये लेते हैं. छह बजे दुकान खुलने के बाद सात बजे से ग्राहक आने शुरू हो जाते हैं. इस दुकान के पास ही जिला कोर्ट, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन, स्कूल है, इस कारण यहां हमेशा दो चार ग्राहक मौजूद रहते हैं. हम सातों दिन के साथ हर त्योहार में दुकान खोलते हैं.
छापेमारी के बाद दुकान के मालिक माखन लाल और बड़े बेटे मुकेश काफी परेशान हैं. लेकिन माखन लाल का दूसरे बेटे ने कहा- ‘ये बढ़िया है, हम अब फेसबुक, व्हाट्सअप हर जगह छा चुके हैं. खबरों में हैं. लोग हमारे बारे में बात कर रहे हैं. हम अब दुनियाभर में फेमस हो चुके हैं’.
कमर्शियल टैक्स ऑफिसर एके माहेश्वरी के मुताबिक- हमें दुकान पर छापेमारी के दौरान चार कमर्शियल सिलेंडर मिले. दो सिलेंडर का इस्तेमाल किया जा रहा था, जबकि दो ऊपर सिढियों पर रखे थे. एक सिलेंडर की कीमत 1800 रुपये पड़ती है. ये रोज़ 800 रुपये के करीब का दही इस्तेमाल करते हैं. उसके अलावा रिफाइन और बाकी के सामान को देखकर लगा कि मोटा-माटी एक दिन में इनका सामान पर छह से सात हजार रुपये का खर्च होता है. इस हिसाब से इनके रोज की बिक्री करीब 17 से 20 हजार रुपये की होती है.
इस हिसाब से अगर साल भर की बात करें तो इनका टर्नओवर 60 से 70 लाख रुपये चला जाता है. इसका मतलब बनता है कि ये हर हाल में जीएसटी के दायरे में आते हैं. लेकिन इन्होंने जीएसटी का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है. टैक्स विभाग के अधिकारी कौटनी के मुकाबिक इस मामले में अभी रिपोर्ट तैयार होगी. 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट तैयार करने के बाद ये जीएसटी डिपार्टमेंट को सौंपी जाएगी. जिसके बाद आगे की कार्रवाई होगी.
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