20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

मौजूदा कठिन परिस्थितियों में बजट तैयार करना चुनौतीपूर्ण, राजकोषीय घाटा कम करना मुश्किल काम : विशेषज्ञ

Advertisement

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित नयी सरकार के लिए मौजूदा कठिन आर्थिक परिस्थितियों में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने योग्य दायरे में रखकर बजट तैयार करने की बड़ी चुनौती होगी. आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति का यह मानना है. उल्लेखनीय है कि 2018-19 के बजट में […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गठित नयी सरकार के लिए मौजूदा कठिन आर्थिक परिस्थितियों में राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करने योग्य दायरे में रखकर बजट तैयार करने की बड़ी चुनौती होगी. आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञ प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति का यह मानना है.

- Advertisement -

उल्लेखनीय है कि 2018-19 के बजट में अनुमानित 3.4 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकार को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है. वर्ष के संशोधित अनुमानों में भारी वृद्धि के चलते सरकार को तय लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल हो गया था.

वर्ष 2018- 19 में निगम कर के 6,21,000 करोड़ रुपये के बजट अनुमान को संशोधित अनुमानों में बढ़ाकर 6,71,000 करोड़ रुपये कर दिया गया. वर्ष की चौथी तिमाही में सकल घरेल उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर पांच साल के निम्नस्तर 5.8 प्रतिशत पर आ गयी है. वार्षिक जीडीपी वृद्धि का आंकड़ा भी 6.8 प्रतिशत रह गया, जो कि पिछले पांच साल में सबसे कम रहा है.

राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआइपीएफपी) में प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति ने कहा कि सरकार के समक्ष आगामी बजट में आंकड़ों को वास्तविक धरातल पर रखते हुए बजट तैयार करने की चुनौती है.

उन्होंने कहा, ‘सरकार के लिए वित्तीय स्थिति कठिन बनी हुई है. वास्तविक अनुमान लगाने होंगे. पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही और पूरे साल के जीडीपी वृद्धि आंकड़े कम रहने के बाद सभी बजट अनुमानों पर इसका असर हुआ होगा. इसे ध्यान में रखते हुए आगामी पूर्ण बजट में अगले साल के लिए विभिन्न वृद्धि अनुमानों को वास्तविकता के धरातल पर आंकना होगा.’

भानुमूर्ति ने गिनायी चिंताएं

भानुमूर्ति ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती गहरा रही है. विश्व बाजार मंदी की तरफ बढ़ रहा है. अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने भी इस ओर संकेत दिया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में यदि मांग घटती है, तो भारतीय निर्यात कारोबार पर भी उसका असर होगा. कच्चे तेल के दाम में उतार-चढ़ाव का मुद्दा भी हमारे सामने है. मॉनसून को लेकर भी चिंता बढ़ी है. इसका हमारी अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर होगा. ऐसे में सरकार के समक्ष बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है.’

वादों को पूरा करना होगा मुश्किल काम

भानुमूर्ति ने कहा कि पिछली तीन-चार तिमाहियों से आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट का रुख रहा है. ऐसे में अर्थव्यवस्था को फिर से तीव्र वृद्धि के रास्ते पर लाना बड़ी चुनौती है. एक तरफ आर्थिक सुस्ती और दूसरी तरफ सरकार द्वारा जनता से किये गये वादों को पूरा करना मुश्किल काम होगा.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने घोषणापत्र में देश के सभी किसानों को हर साल 6,000 रुपये की सम्मान निधि देने का वादा किया है. ढांचागत सुविधाओं और कृषि क्षेत्र में अगले कुछ सालों के दौरान भारी निवेश की घोषणा की गयी है.

सरकार को भानुमूर्ति की सलाह

भानुमूर्ति मौजूदा कठिन आर्थिक परिस्थितियों से बाहर निकलने के बारे में सलाह देते हुए कहते हैं कि सरकार को तेज गति के साथ बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करना होगा. वित्त वर्ष की समाप्ति तक इसकी प्रतीक्षा नहीं की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘मेरे विचार से बचत को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक लाख रुपये तक की अतिरिक्त कर बचत वाली नयी योजनाओं की घोषणा करनी चाहिए. ब्याज दरों में कटौती का फायदा अर्थव्यवस्था में नहीं दिखाई दे रहा है. इसलिए सरकार को बचत को बढ़ावा देना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और बैंक क्षेत्र का संकट समाप्त होता नहीं दिख रहा है. हालांकि, सरकार ने एनपीए कम करने के लिए कई कदम उठाये हैं, लेकिन इसका त्वरित समाधान नहीं दिखाई देता है. निजी क्षेत्र की धारणा सुस्त बनी हुई है. इसमें सुधार के लिए कदम उठाने होंगे.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें