FICCI ने बेरोजगारी को मोदी सरकार-II के लिए बतायी सबसे बड़ी चुनौती, रोजगार के लिए अलग मंत्रालय की मांग
नयी दिल्ली : उद्योग एवं वाणिज्य मंडल फिक्की ने बेरोजगारी को मोदी सरकार-II की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताते हुए रोजगार सृजन के प्रयासों का प्रभावी तरीके से समन्वय करने के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की मांग की. फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने बुधवार को कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार […]
नयी दिल्ली : उद्योग एवं वाणिज्य मंडल फिक्की ने बेरोजगारी को मोदी सरकार-II की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बताते हुए रोजगार सृजन के प्रयासों का प्रभावी तरीके से समन्वय करने के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की मांग की. फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने बुधवार को कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार हालिया लोकसभा चुनाव में पहले से भी अधिक बहुमत के साथ सत्ता में वापस आयी है. ऐसे में उद्योग जगत को इस सरकार से उम्मीद है कि ग्रामीण क्षेत्र की बदहाल स्थिति और रोजगार सृजन समेत मौजूदा चुनौतियों से निपटने तथा अर्थव्यवस्था को तेज वृद्धि के रास्ते पर लाने के लिए बड़े सुधार किये जायेंगे.
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फिक्की के अध्यक्ष सोमानी ने कहा कि अभी देश में कारोबार करने की लागत काफी अधिक है. ऐसे में अभी रेपो रेट को एक से डेढ़ फीसदी कम करने तथा सभी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की रेट मौजूदा 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी करने की जरूरत है.
पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक फरवरी, 2018 को पेश बजट में 250 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर घटाकर 25 फीसदी करने की घोषणा की थी. हालांकि, 250 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली कंपनियों को अभी भी 30 फीसदी की दर से कॉरपोरेट कर का भुगतान करना पड़ रहा है.
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सोमानी ने कहा कि यह सरकार द्वारा सुधार के नये चरण को विशेषकर भूमि, श्रम एवं न्याय जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार किये जाने का समय आ गया है. उन्होंने कहा कि न्यूनतम वैकल्पिक कर के ढांचे की भी समीक्षा किये जाने की जरूरत है. अभी यह बहुत अधिक है. इसके साथ ही, कारोबार सुगमता के परिदृश्य को बेहतर बनाने के लिए जीएसटी एवं अन्य कानूनों में प्रशासनिक सरलीकरण की भी जरूरत है. उन्होंने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में तरलता के संकट का हवाला देते हुए रिजर्व बैंक के साथ मिलकर सरकार को काम करने की जरूरत पर भी बल दिया.
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