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नयी दिल्ली : उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने मंगलवार को कहा कि 2018-19 की पहली तिमाही में 8.2 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रावधानों को आसान बनाने जैसे मुख्य सुधारों का परिणाम है. संगठन के अनुसार, निजी निवेश में वृद्धि तथा सरकारी खर्च बढ़ने से देश को चालू वित्त वर्ष में 7.3 से 7.7 फीसदी की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने में मदद मिलेगी.
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सीआईआई के अध्यक्ष राकेश भारती मित्तल ने कहा कि इसके अलावा, अब तक मॉनसून के ठीक रहने से हमें इस वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि में मजबूत घरेलू मांग का योगदान देखने को मिल सकता है. मित्तल ने कहा कि जीएसटी, कारोबार सुगमता में सुधार, एफडीआई, श्रम, कृषि तथा कई अन्य अभियान देश में निवेश का माहौल बेहतर करने पर केंद्रित हैं और उत्पादकता ने असर दिखाना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि इन सब ने जीडीपी की मजबूत तस्वीर में मिलकर योगदान दिया है, जो हमने जून तिमाही में देखा है. 8.2 फीसदी की दर पिछले वित्त वर्ष की 5.6 फीसदी की दर की तुलना में काफी बेहतर है.
मित्तल ने कहा कि तेल की बढ़ती कीमतें तथा अमेरिका में बढ़ते ब्याज दर के रूप में कुछ बाह्य दिक्कतें हैं, लेकिन घरेलू मजबूती इसमें सक्षम है कि देश किसी भी गति अवरोधक को पार कर लेगा. सीआईआई ने दावा किया कि उसके मुख्य कार्यकारियों की राष्ट्रीय परिषद में किये गये एक सर्वेक्षण का परिणाम काफी समय बाद इस कदर सकारात्मक रहा है.
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