बैंक जाना पड़ सकता है महंगा, 20 जनवरी से शाखा में हर काम का शुल्‍क लेगा बैंक!

नयी दिल्‍ली : डिजिटल इंडिया की कवायद में बैंक अब हर ऑफलाइन काम के लिए ग्राहकों से शुल्‍क वसूलने की तैयारी में हैं. खबर है कि बैंक अब ब्रांच में आने वाले लोगों से कई प्रकार के शुल्‍क वसूलेगा. ऐसा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है. हालांकि कुछ सेवाओं में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2018 1:43 PM
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नयी दिल्‍ली : डिजिटल इंडिया की कवायद में बैंक अब हर ऑफलाइन काम के लिए ग्राहकों से शुल्‍क वसूलने की तैयारी में हैं. खबर है कि बैंक अब ब्रांच में आने वाले लोगों से कई प्रकार के शुल्‍क वसूलेगा. ऐसा डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है. हालांकि कुछ सेवाओं में शुल्‍क नहीं ली जायेगी. पहले जिन कामों को आप मुफ्त में कराते थे, वैसे कुछ कामों के लिए बैंक आपसे शुल्‍क लेगा, जो आपके अकाउंट से कट जायेगा.

खबरों के अनुसार, 20 जनवरी से सभी सरकारी और निजी बैंक शाखाओं में दी जाने वाली उन तमाम सेवाओं के लिए शुल्क वसूलने की तैयारी है. हालांकि, कुछ सुविधाओं के लिए शुल्क की समीक्षा होगी. इन सुविधाओं में पैसा निकालने, जमा करने, मोबाइल नंबर बदलवाने, केवाईसी, पता बदलवाने, नेट बैंकिंग और चेक बुक के लिए आवेदन करने जैसी सुविधाएं शामिल हैं.

अपने खाते वाली शाखा के अलावा, बैंक की दूसरी शाखा से सेवा लेने के लिए अलग से शुल्क चुकाना पड़ सकता है. इस शुल्‍क पर निर्धारित जीएसटी भी लगेगा. बैंक से जुड़े सूत्रों के अनुसार, नये शुल्कों को लेकर आंतरिक आदेश मिल चुके हैं. सभी बैंक आरबीआई के निर्देशों का पालन करते हैं. नियमों के अनुसार संबंधित बैंक का बोर्ड सभी सेवाओं पर लगने वाले शुल्क का फैसला लेता है. बोर्ड की मंजूरी के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाता है.

आपको बता दें के बैंकों न्‍यूनतम बैलेंस की सीमा भी बढ़ा रखी है और ज्‍यादातर डिजिटल लेनदेन को प्रोत्‍साहित कर रही है. स्‍टेट बैंक सहित कई बैंकों ने तो पासबुक अपडेट के लिए भी शुल्‍क लेने शुरू कर दिये हैं. इस पूरे मामले पर बैंकर्स का कहना है कि खाताधारक अगर अपनी होम ब्रांच के अतिरिक्त किसी अन्य ब्रांच से बैंकिंग सेवाएं लेता है तो शुल्क लगना चाहिए. हालांकि कई विशेषज्ञों ने इस कदम की निंदा की है. उनका कहना है कि बैंक एकतरफा तरीके से ऐसा फैसला ले रहे हैं, जिससे आम लोगों पर बुरा असर पड़ेगा.

जानकारों का कहना है कि जनता पहले ही भारी करों, कम ब्याज दरों व बढ़ती कीमतों से परेशान है. अब बैंक फायदा कमाने वाले संस्थान बनते जा रहे हैं. बैंकों ने निजी साहूकारों जैसा व्यवहार शुरू कर दिया है, इसलिए उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा होनी चाहिए.

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