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जीएसटी, कृषि की वजह से इस साल जीडीपी की वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर पर आने का अनुमान

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नयी दिल्ली : देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (2017-18) में 6.5 प्रतिशत के चार साल के निचले स्तर पर रहने का अनुमान है. माल एवं सेवा कर (GDP) के क्रियान्वयन की वजह से विनिर्माण क्षेत्र पर पड़े असर और कृषि उत्पादन कमजोर रहने से जीडीपी की वृद्धि दर […]

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नयी दिल्ली : देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (2017-18) में 6.5 प्रतिशत के चार साल के निचले स्तर पर रहने का अनुमान है. माल एवं सेवा कर (GDP) के क्रियान्वयन की वजह से विनिर्माण क्षेत्र पर पड़े असर और कृषि उत्पादन कमजोर रहने से जीडीपी की वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर पर रह सकती है.

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने राष्ट्रीय लेखा खातों का अग्रिम अनुमान जारी करते हुए यह अनुमान लगाया है. पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में जीडीपी की वृद्धि दर 7.1 प्रतिशत रही थी, जबकि इससे पिछले साल यह 8 प्रतिशत के ऊंचे स्तर पर थी. 2014-15 में यह 7.5 प्रतिशत थी.

नरेंद्र मोदी सरकार ने मई, 2014 में कार्यभार संभाला था. सीएसओ ने कहा, चालू वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत पर आने का अनुमान है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 7.1 प्रतिशत रही थी. विनिर्माण क्षेत्र की सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) वृद्धि दर के भी घटकर 4.6 प्रतिशत पर आने का अनुमान है. 2016-17 में यह 7.9 प्रतिशत रही थी.

सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार कृषि, वन और मत्स्यपालन क्षेत्र की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में घटकर 2.1 प्रतिशत पर आने का अनुमान है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 4.9 प्रतिशत रही थीं.

यह पूछे जाने पर कि क्या औसत वृद्धि पर जीएसटी का असर पडा है? मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत ने संवाददाताओं से कहा कि इसका जवाब है कुछ हद तक. मैं बताता हूं कैसे. उन्होंने आगे कहा, जब हमने पहली तिमाही का अनुमान जारी किया था, तो स्पष्ट किया था क्योंकि जीएसटी को एक जुलाई से लागू किया जा रहा है, तो स्वाभाविक रूप से विनिर्माण क्षेत्र इसको लेकर कुछ सोच रहा होगा. चूंकि पहली तिमाही पूरे साल का हिस्सा है, विनिर्माण भी पहली तिमाही में शामिल है. हां वह प्रभाव इस कवायद में शामिल है.

सीएसओ के अनुमान पर आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि 2017-18 में जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का मतलब है कि दूसरी छमाही में वृद्धि दर 7 प्रतिशत रहेगी. उन्होंने ट्वीट किया, यह अर्थव्यवस्था में सुधार की पुष्टि करता है. पिछले सालों की तुलना में निवेश वृद्धि लगभग दोगुनी रही है. इससे पता चलता है कि निवेश सुधर रहा है.

कृषि क्षेत्र पर मुख्य सांख्यिकीविद अनंत ने कहा कि जहां तक कृषि का सवाल है, इसमें कुछ तो सांख्यकीय आधार के कारण औसत में कमी आयी है क्यों कि कई साल के सूखे के बाद वृद्धि दर काफी ऊंची दिख रही थी. उन्होंने कहा कि वास्तविक कृषि उत्पादन का कुल आंकड़ा काफी लंबे अरसे में दूसरा सबसे ऊंचा आंकड़ा होगा. एक अच्छे साल में यह कृषि के लिए असामान्य वृद्धि दर नहीं है.

वास्तविक सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) के आधार पर 2017-18 में वृद्धि 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो इससे पिछले साल 6.6 प्रतिशत रही थी.

इसके अलावा विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी घटकर 4.6 प्रतिशत पर आने का अनुमान है, जो 2016-17 में 7.9 प्रतिशत रही थी. निवेश का संकेत माने जाने वाले सकल निश्चित पूंजी सृजन (जीएफसीएफ) मौजूदा मूल्य पर 43.84 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2016-17 में 41.18 लाख करोड़ रुपये रहा था. स्थिर मूल्य (2011-12 के मूल्य) पर जीएफसीएफ 37.65 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जो 2016-17 में 36.02 लाख करोड़ रुपये रहा था.

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