जानिए कैसे बचाए टैक्स, हैं कई विकल्प
हर साल वित्तीय वर्ष के शुरू होने से पहले ही कर्मचारियों को सालभर में किये गये निवेश की जानकारी अपने नियोक्ता को देनी पड़ती है, जिससे कि उनके वेतन से कम-से-कम टैक्स कटे और इसके लिए आयकर अधिनियम की धारा 80सी से बेहतर कोई विकल्प नहीं. इसके तहत उपलब्ध विभिन्न तरह के निवेश विकल्पों से […]
हर साल वित्तीय वर्ष के शुरू होने से पहले ही कर्मचारियों को सालभर में किये गये निवेश की जानकारी अपने नियोक्ता को देनी पड़ती है, जिससे कि उनके वेतन से कम-से-कम टैक्स कटे और इसके लिए आयकर अधिनियम की धारा 80सी से बेहतर कोई विकल्प नहीं.
इसके तहत उपलब्ध विभिन्न तरह के निवेश विकल्पों से डेढ़ लाख रुपये प्रति वर्ष कर छूट का लाभ आप प्राप्त कर सकते हैं. अगर आप कर छूट प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो आप ऐसा करने से पहले 80सी के तरह दिये गये विकल्पों को अच्छी तरह जान लें. आपके द्वारा किये गये कुछ जरूरी खर्चों को इसमें शामिल किया गया है.
होम लोन का रीपेमेंट, स्टैंप ड्यूटी और पंजीयन शुल्क
आज सामान्य रूप से कोई भी व्यक्ति होम लोन द्वारा ही अपने लिए घर खरीदता है और इसका भुगतान इएमआइ से करता है. धारा 80सी इस बोझ को हल्का करता है. होम लोन के किस्त में प्रिंसिपल एमाउंट के रूप में जमा की गयी राशि को कटौती का लाभ मिलता है. साथ ही घर की खरीद में लगे स्टैंप ड्यूटी और पंजीयन शुल्क भी इसमें शामिल हैं.
जीवन बीमा के प्रीमियम
जीवन बीमा की पॉलिसी के तहत पूरे साल आप जो भी प्रीमियम का भुगतान करते हैं, उसे कुल कर योग्य आय से घटा दिया जाता है. प्रीमियम की रकम कुल बीमा राशि (सम इंश्योर्ड) की 20 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
दो बच्चों की ट्यूशन फीस
आप अपने दो बच्चों की पढ़ाई के खर्च पर कर छूट का लाभ ले सकते हैं. इसकी अधिकतम सीमा एक लाख रुपये है. शर्त है कि उनकी शिक्षा फुलटाइम हो. प्राइवेट ट्यूशन या कोचिंग आदि की फीस, किताबों के खर्च, डोनेशन, कैपिटेशन फीस, एडमिशन फीस, वार्षिक शुल्क, डेवलपमेंट चार्ज आदि इसमें शामिल नहीं हैं.
ईपीएफ
आप किसी प्राइवेट या सरकारी प्रतिष्ठान में काम करते हैं, तो वहां आपके वेतन का एक हिस्सा काट कर आपके ईपीएफ खाते में निवेश कर दिया जाता है. आपके वेतन से किये गये इस अनिवार्य निवेश की राशि भी आपके कर को कम करती है.
80सी के तहत कटौती पाने वाले खर्चे
पूरे साल आप विभिन्न तरह के जरूरी खर्च करते हैं, जैसे बच्चों की फीस, होम लोन का भुगतान करना, जीवन बीमा का प्रीमियम देना, ईपीएफ में निवेश आदि. इन खर्चों पर 80सी के तहत कर छूट का लाभ प्राप्त होता है.
इन निवेशों पर भी बचा सकते हैं टैक्स
80सी के तहत कुछ निवेश विकल्प भी मौजूद हैं, जैसे सुकन्या समृद्धि योजना, ईएलएसएस, पीपीएफ, एनपीएस, एनएससी आदि, जिनमें निवेश किये गये पैसे पर कर छूट का प्रावधान है.
सुकन्या समृद्धि योजना
इसमें निवेश पर आपको 8.5 फीसदी का ब्याज मिलता है.इस स्कीम के तहत यदि आप अपनी 10 साल से कम उम्र की बेटी के नाम पर निवेश करते हैं, तो आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर छूट मिलती हैं. इस योजना के तहत आप दो बेटियों के लिए खाता खुलवा सकते हैं.
नेशनल पेंशन स्कीम
मेच्योरिटी के प्राप्त कुल फंड के 40% पर टैक्स नहीं.
80सी के तहत एनपीएस में आप 1.50 लाख रुपये तक का निवेश प्रति वर्ष कर सकते हैं. मेच्योरिटी के प्राप्त कुल फंड के 40% पर टैक्स नहीं लगता है. शेष 60% राशि पर टैक्स छूट प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि उसे एन्यूटी प्लान में निवेश किया जाये.
सीनियर सिटीजन सेविंग
त्रैमासिक ब्याज के लाभ के लिए बेहतर डिपोजिट स्कीम.
यह 60 साल या ज्यादा उम्र के नागरिकों के लिए पांच साल की स्कीम है, जिसमें हर तीन माह पर ब्याज मिलता है. इसमें अकेले या ज्वाइंट होल्डर के साथ 15 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं.
यूलिप
इसमें निवेश पर आपको 8.5 फीसदी का ब्याज मिलता है.
यूलिप एक ऐसी योजना है, जिसमें दो तरह के फायदे होते हैं. इसमें निवेश की गयी रकम को इक्विटी और इंश्योरेंस प्लान दोनों के लिए इस्तेमाल किया जाता है. यानी निवेश राशि के एक हिस्से को बीमा के लिए, तो दूसरे को इक्विटी के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
टैक्स सेविंग प्लस इनकम ग्रोथ
ईएलएसएस : टैक्स में छूट पाने का यह एक बेहद आसान तरीका है. दरअसल, यह एक प्रकार का डाइवर्सिफाइड म्यूच्युअल फंड है, जिसे इनकम टैक्स कानून के तहत टैक्स में छूट के लिए खरीदा जाता है. इसकी अहम बात यह है कि आप टैक्स बचाने के साथ-साथ इसमें निवेश किये गये पैसे में वृद्धि के भी हकदार हैं. यह स्कीम तीन साल के लॉक-इन-पीरियड के साथ उपलब्ध है. मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव का इस पर कम ही असर देखने को मिलता है.
ब्याज पर काेई टैक्स नहीं
पीपीएफ: लंबे समय के लिए निवेश करने वालों के लिए पीपीएफ बेहतर विकल्प है. यह 15 साल की योजना है, जिसमें एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक जमा किया जा सकता है. इससे मिले ब्याज पर टैक्स नहीं लगता. जरूरत पड़ने पर छह साल बाद पैसा निकाला सकते हैं.
कर में छूट वाले निवेश के अन्य विकल्प
टैक्स बचाने वाले एफडी : विशेष रूप से लागू फिक्स्ड डिपॉजिट योजनाओं में पांच वर्ष के लिए किये गये निवेश पर कर छूट का लाभ मिलता है.
डाकघरों में पांच वर्ष के लिए किया गया टर्म डिपॉजिट : डाकघरों में पांच वर्षों के लिए किये गये टर्म डिपॉजिट को भी कर छूट में शामिल किया गया है.
एनएससी : यदि आप टैक्स बचत के साथ सुरक्षित निवेश एवं पक्की वापसी चाहते हैं, तो नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी) में निवेश बेहतर विकल्प है. आयकर अधिनियम की धारा 80सी के अंतर्गत एनएससी में निवेश पर एक लाख रुपये तक की छूट प्राप्त की जा सकती है.
एनएससी पर अर्जित ब्याज प्रत्येक वर्ष की आय में शामिल किया जाता है. चूंकि पहले पांच साल का ब्याज मैच्यूरिटी पर दिया जाता है. इसलिए उसे संबंधित वर्ष में रिइन्वेस्टमेंट मानकर उसकी भी छूट धारा 80सी के तहत मिल जाती है.
इंफ्रा बॉन्ड : इंफ्रा बॉन्ड्स के जरिये इंफ्रास्ट्रेक्चर सेक्टर में निवेश किया जाता है. इनकम टैक्स नियम के सेक्शन 80सी के तहत इसमें निवेश कर आप कुछ टैक्स बचा सकते हैं.
नाबार्ड बॉन्ड : नाबार्ड लंबी अवधि के लिए जीरो कूपन बॉन्ड जारी करता है. यह 10 साल के लिए होता है. इसमें भी निवेश कर सकते हैं.
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