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महंगे होते पेट्रोल-डीजल से चिंता में सरकार, राहत के उपायों पर किया जा सकता है विचार

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नयी दिल्ली : पेट्रोलियम की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि को लेकर चौतरफा आलोचना झेल रही सरकार जल्द ही कोई फैसला ले सकती है. राज्य नेचुरल गैस वेल्यू ऐडेड टैक्स रेट 5 प्रतिशत तक रखने और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में इनपुट के रूप में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल, डीजल जैसे दूसरे इंधनों पर वैट रेट […]

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नयी दिल्ली : पेट्रोलियम की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि को लेकर चौतरफा आलोचना झेल रही सरकार जल्द ही कोई फैसला ले सकती है. राज्य नेचुरल गैस वेल्यू ऐडेड टैक्स रेट 5 प्रतिशत तक रखने और मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में इनपुट के रूप में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल, डीजल जैसे दूसरे इंधनों पर वैट रेट घटाने पर राजी हो गये हैं. इकोनॉमिक टाइम्स के खबर के मुताबिक राज्यों में इसकी रूपरेखा बन जाने के बाद जीएसटी काउंसिल इस स्कीम पर विचार करेगी. आधिकारिक स्तर पर केंद्र और राज्यों के बीच चर्चा हुई है.’ इससे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कुछ कमी आएगी. खासतौर पर उन राज्यों में यह कमी आएगी, जहां ज्यादा टैक्स वसूला जाता है.

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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफे के बावजूद जारी रहेगी रोजाना बदलाव की व्यवस्थाः धमेंद्र प्रधान

गौरतलब है कि जीएसटी रेट तय करते वक्त केंद्र सरकार पेट्रोलियम पदार्थो को जीएसटी के दायरे में लाना चाहती थी लेकिन राज्य सरकारों ने इस बात का समर्थन नहीं किया. क्योंकि पेट्रोलियम पदार्थो से अच्छी – खासी राजस्व की प्राप्ति होती है. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अऩुसार पेट्रोलियम पदार्थो की कीमत में कमी को लेकर अब राज्य सरकारें ही कुछ निर्णय कर सकती है. राज्य सरकारें स्कीम लाकर केंद्र के सामने रख सकती है. अगर राज्यों ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी तो यह इन पेट्रो प्रॉडक्ट्स पर एक समान टैक्स रेट तय करने की दिशा में अहम कदम होगा
पेट्रोल की कीमतों में केंद्र सरकार का शेयर
पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र और राज्य सरकार के दोहरे टैक्स की वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक बार फिर आसमान को छू रही हैं, जबकि कच्चे तेल की कीमतों में 2014 के मुताबिक तुलनात्मक आधार पर 50 फीसदी की कमी आई है. आश्चर्य की बात है कि 2014-15 में पेट्रोलियम उत्पादों से मिलने वाला राजस्व 3.32 लाख करोड़ था और 2016-17 में यह 5.24 लाख करोड़ हो गया.

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