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रिजर्व बैंक आैर सरकार में फिर बढ़ी तनातनी, वित्त मंत्रालय के साथ एमपीसी ने नहीं की बैठक

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मुंबर्इः रिजर्व बैंक की आेर से बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखने के बाद सरकार आैर केंद्रीय बैंक के बीच एक बार फिर तनातनी बढ़ने के आसार नजर आने लगे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) की आेर से नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने को लेकर केंद्र […]

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मुंबर्इः रिजर्व बैंक की आेर से बुधवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दरों को यथावत रखने के बाद सरकार आैर केंद्रीय बैंक के बीच एक बार फिर तनातनी बढ़ने के आसार नजर आने लगे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआर्इ) की आेर से नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की भौहें तन गयी हैं आैर उसके इस रुख पर सरकार की नाराजगी साफ झलकने लगी है. आलम यह कि मौद्रिक नीति समीक्षा करने के पहले एमपीसी ने वित्त मंत्रालय के साथ बैठक करने से ही मना कर दिया. केंद्रीय बैंक की आेर से मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में कटौती की घोषणा नहीं करने के बाद उसके अधिकारियों ने कहा कि मौजूदा आर्थिक हालात में ब्याज दरों में बड़ी कटौती करने का अच्छा मौका था.

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इस खबर को भी पढ़ेंः आरबीआर्इ मौद्रिक समीक्षाः घटेगी रेपो रेट या रहेगी यथावत, आज फैसला करेगा रिजर्व बैंक

हालांकि, रिजर्व बैंक की आेर से प्रत्येक दो महीने पर होने वाली मौद्रिक समीक्षा पर नजर रखने के लिए सरकार ने पिछले साल ही मौद्रिक समीक्षा समिति (एमपीसी) का गठन कर दिया है, जिसमें सरकार के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है. रिजर्व बैंक की आेर से मौद्रिक समीक्षा के दौरान कोर्इ भी फैसला समिति में सरकार के सदस्यों की सहमति के बिना नहीं किया जा सकता है. बावजूद इसके जब बुधवार को केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कटौती नहीं की, तो सरकार की भौहें तन गयी हैं.

रेपो रेट में कटौती नहीं होने के बावजूद सस्ते हो सकते हैं आवास ऋण

रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में कमी न करने के बावजूद कुछ श्रेणी के आवास ऋणों के लिए जोखिम के प्रावधान में कमी की है, जिससे 30 लाख रुपये से 75 लाख रुपये तक के आवास ऋण सस्ते होने की उम्मीद बंधी है. रिजर्व बैंक ने एसएलआर के प्रावधान को भी कम किया है, जिससे बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में पैसा कम रखना पड़ेगा और उनके पास कर्ज के लिए अधिक धन उपलब्ध रहेगा.

कृषि ऋण माफी से बढ़े जोखिम के कारण नहीं घटी रेपो रेट, मगर 0.5 फीसदी घटायी गयी एसएलआर

रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में राज्यों की कृषि ऋण माफी के कारण मुद्रास्फीति बढ़ने के जोखिम का हवाला देते हुए प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया. केंद्रीय बैंक ने लगातार चौथी बार रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 6.25 प्रतिशत पर कायम रखा. वहीं रिवर्स रेपो को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया है. हालांकि, उसने बैंकों की कर्ज देने की क्षमता बढ़ाने को लेकर सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में 0.5 प्रतिशत की कटौती की, ताकि आर्थिक वृद्धि को गति दी जा सके.

रिजर्व बैंक के फैसले से नाराज हो गये मुख्य आर्थिक सलाहकार

हालांकि, एमपीसी के इस फैसले से वित्त मंत्रालय खुश नजर नहीं आया. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने अपनी नाराजगी खुलकर व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान आर्थिक स्थिति में रिजर्व बैंक के लिए मौद्रिक नीति में नरमी लाने की बड़ी गुंजाइश थी. उन्होंने कहा कि इस दृष्टिकोण से न केवल खुदरा मुद्रास्फीति अब तक लक्ष्य से काफी कम है, बल्कि विनिर्माण वस्तुओं की मुद्रास्फीति में भी काफी गिरावट आयी है. इस नजरिये से रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के अनुमान में व्यापक रूप से चूक रही है और प्रणालीगत तौर पर उसका अनुमान एकतरफा ऊंचा रहा है.

राजकोषीय स्थिति में गिरावट से बढ़ी रिजर्व बैंक की चिंता

हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कृषि ऋण माफी के कारण राजकोषीय स्थिति में गिरावट आने की आशंका को लेकर चिंता जतायी. इसमें कहा गया है कि बड़े पैमाने पर कृषि ऋण माफी की घोषणाओं से राजकोषीय स्थिति बिगड़ने और फलस्वरूप मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम बढा है. यह एमपीसी की पहली बैठक थी, जिसमें रवीन्द्र एच ढोलकिया ने विरोध का नोट दिया. इसके अलावा, एमपीसी ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से मिलने से भी इनकार कर दिया. छह सदस्यीय एमपीसी ने नीतिगत समीक्षा से पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक करने से सर्वसम्मति से इनकार कर दिया.

एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने वित्त मंत्रालय के साथ बैठक करने से किया इनकार

पटेल ने कहा कि बैठक नहीं हुई। सभी एमपीसी सदस्यों ने वित्त मंत्रालय का बैठक संबंधी अनुरोध अस्वीकार कर दिया. रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा कि एमपीसी का निर्णय मौद्रिक नीति के तटस्थ रुख के अनुरूप है. साथ ही, यह कदम वृद्धि को समर्थन देने तथा मध्यम अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 2 प्रतिशत घट-बढ़ की गुंजाइश के साथ 4 प्रतिशत के स्तर पर सीमित रखने के लक्ष्य के मुताबिक है. केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति की द्विमासिक समीक्षा में एसएलआर 0.5 प्रतिशत घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया. इस कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए अधिक नकदी बचेगी और इससे ऋण बाजार में तेजी आने की उम्मीद है.

अर्थव्यवस्था में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट को रखा गया यथावत

मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति निजी निवेश को पटरी पर लाने, बैंकिंग क्षेत्र की बेहतर स्थिति को बहाल करने तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने की जरूरत को रेखांकित करती है. मौद्रिक नीति तभी प्रभावी भूमिका निभा सकती है, जब ये चीजें दुरुस्त हों. हालांकि, केंद्रीय बैंक ने कृषि ऋण माफी के कारण राजकोषीय स्थिति में गिरावट आने की आशंका को लेकर चिंता जतायी. इसमें कहा गया है कि बड़े पैमाने पर कृषि ऋण माफी की घोषणाओं से राजकोषीय स्थिति बिगड़ने और फलस्वरूप मुद्रास्फीति बढने का जोखिम बढ़ा है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि वैश्विक राजनीतिक और वित्तीय जोखिम से आयातित मुद्रास्फीति पैदा हुई है और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भत्ते दिये जाने से इसके उपर जाने का जोखिम बना हुआ है.

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