अब रहीम मुसकिल परी, गाढ़े दोऊ काम।।

सांचे से तो जग नहीं, झूठे मिलैं न राम।।

अर्थात

रहीम कहते हैं, सांसारिक सुख और आध्‍यात्मिक आनंद दो विपरीत ध्रुव हैं. एक को छोड़ोगे, तभी दूसरा मिलेगा. सच्चाई, मोह-माया को त्याग दोगे तो सांसारिक सुचा नहीं मिलेंगा और इनके त्यागे बिना आध्‍यात्मिक आनंद नहीं मिलेगा.