अनुचित बचन न मानिए, जदपि गुराइसु गाढि!

है रहीम रघुनाथ ते, सुजस भरत की बाढि!!

अर्थात

भरपूर दबाव पड़ने पर भी अनुचित कार्य कभी न करें. जिस कार्य को करने के लिए आपका अंतर्मन गवाही न दे, वह कार्य को बड़ा व आदरणीय व्यक्ति भी कहे तो भी न करें.